नरोत्तम मिश्रा इन एक दर्जन गांव से कौन सी दुश्मनी निकाल रहे हैं

दतिया। नरोत्तम मिश्रा को विधायक चुने जाने से पहले तक दतिया को केवल जिले का दर्जा प्राप्त था, शेष यह मध्यप्रदेश की सबसे बड़ी ग्राम पंचायत ही थी। कहना ही होगा कि नरोत्तम मिश्रा ने दतिया की कायापलट कर दी। कैबिनेट मंत्री नरोत्तम मिश्रा का नाम दतिया इतिहास में दर्ज हो गया। आज दतिया में वो सबकुछ है जो एक जिले में होना चाहिए और शायद आसपास के जिलों से कहीं ज्यादा ही है परंतु उनाव सहित आसपास के एक दर्जन से अधिक गांव से पता नहीं नरोत्तम मिश्रा की कौन सी दुश्मनी है जो यहां की तरफ नजर उठाकर भी नहीं देखते। 

नरोत्तम मिश्रा ने घोषणा भी की थी

उनाव में रहने वाले ग्रामीणों के पहूज नदी के पार खेत खलियान हैं। अपने खेतों पर जाने के लिए उन्हें ट्यूब का सहारा लेना पड़ता है। खासबात यह कि नदी के उस पर श्मशान घाट भी है। लोगों को अंत्येष्टि के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ती है। गांव के लोगों ने कई बार जनप्रतिनिधियों से रपटा निर्माण के लिए मांग की। लेकिन अभी तक कुछ हासिल नहीं हुआ। खासबात यह कि रपटा बनाने के लिए कैबिनेट मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा ने घोषणा भी की थी। उस समय क्षेत्र के लोगों को लगा कि हमारी आने जाने की समस्या जल्द ही खत्म हो जाएगी। रपटा बनने के बाद हम नदी को आसानी से पार कर जा सकते हैं। लेकिन घोषणा के बाद अभी तक कुछ भी नहीं हुआ। ग्रामीण कहते हैं कि घोषणा यदि सीएम शिवराज सिंह ने की होती तो कोई दर्द ना होता परंतु मिश्राजी की घोषणाएं तो पूरी होतीं हैं, फिर पता नहीं यह क्यों नहीं पूरी की गई। 

ट्यूब से नदी पार करते हैं ग्रामीण

बात दें कि पहूज नदी पर रपटा न होने के कारण एक दर्जन से अधिक गांव के लोगों को अपनी जान जोखिम में डालकर ट्यूब से नदी को पार करना पड़ रहा है। पहूज नदी पर बुंदेलखंड पैकेज के तहत लघु सिंचाई विभाग द्वारा 86 लाख की लागत से स्टॉप डैम बना दिया गया है। जिससे नदी का जल स्तर बढ़ गया है। लोगों को उस पार जाने के लिए कोई अन्य रास्ता नहीं हैं। जलस्तर बढ़ने से न तो किसान खेत खलिहान में आसानी से पहुंच पा रहे है, और न ही पहूज नदी के उस पार फैले बगीचों में मालिक ब मजदूर पहुंच पाते हैं। मुक्तिधाम का निर्माण ग्राम पंचायत द्वारा पहूज नदी के उस पार ही कराया गया है। जिसकी वजह से मजबूर वश लोगो को पहूज नदी का सफर ट्यूब के सहारे ही पार करना पड़ता है। तब जाकर अंत्येष्टि करते हैं। 

तैरकर मंदिर जाते हैं पुजारीजी 

पहूज नदी के उस पार पाताली हनुमान मंदिर है। मंदिर पुजारी महंत चतुर्वेदी ने बताया कि सेवा पूजा के लिए उन्हें तीन बार पहूज नदी को तैरकर पार करना पड़ता है। एक अन्य किसान सीताराम गुप्ता का कहना है कि पहूज नदी पर रपटा बन जाए तो लोगों को आने जाने में काफी सुविधा मिल सकेगी। साथ पड़ोसी गांव से संपर्क भी बना रहेगा। 

बारिश में संपर्क से कट जाते हैं इन गांवों के लोग 

बालाजी मंदिर कमेटी के सदस्य जयनारायण पंडा बताते है कि पूरे उनाव कस्बे के साथ-साथ बरगद, मबई, धमना, आरी सहित कई गांवों के लोगो को रपटा के बारिश के समय निकलना मुश्किल हो जाता है। इन गांव के लोग ट्यूब के सहारे निकलते हैं। बारिश के समय इन गांव के लोगों को संपर्क टूट जाता है। और वह गांव में कैद हो जाते हैं। 

जनप्रतिनिधियों की घोषणा का नहीं हुआ कोई फायदा 

रपटा बनाने को लेकर क्षेत्रीय विधायक घनश्याम पिरोनिया ने संस्कृति मंत्रालय द्वारा आयोजित 18 मार्च 17 को उनाव महोत्सव के कार्यक्रम के दौरान जनता की बहु प्रतीक्षित मांग को भी प्रमुखता के साथ उठाया था। कार्यक्रम में कैबिनेट मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा द्वारा पहूज नदी पर शीघ्र रपटा निर्माण की घोषणा की थी। श्री मिश्रा ने घोषणा में कहा था कि रपटा निर्माण सेतु निगम के द्वारा कराया जाएगा। घोषणा के बाद में अधिकारियो द्वारा स्थल जायजा भी लिया था। लेकिन उसके बाद पहूज नदी पर रपटा बनने की योजना शायद विभाग की फाइलों में दब गया। 

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