
बीते रोज कमलनाथ ने बयान दिया था कि भाजपा के खिलाफ समान विचारधारा वाली पार्टियों से गठबंधन किया जा सकता है। यूपी में सपा एवं कांग्रेस एकजुट होकर चुनाव लड़ चुकीं हैं। इसके अलावा भाजपा के खिलाफ सपा और बसपा भी एकजुटता का प्रदर्शन कर चुकीं हैं। पिछले दिनों सोनिया गांधी भी मायावती से बड़ी आत्मीयता से मिलीं। कमलनाथ की कोशिश है कि मप्र में सपा/बसपा के कारण कांग्रेस को जो नुक्सान होता है उसे रोक लिया जाए परंतु उनका उतावलापन उन्हे कमजोर साबित कर रहा है।
जल्दबाजी में कहीं बड़ा नुक्सान ना कर बैठें कमलनाथ
कमलनाथ का सिर्फ एक ही टारगेट है, श्यामला हिल्स स्थित सीएम हाउस। कमलनाथ से कनेक्टेड नेता और उनके निजी कर्मचारी तो कमलनाथ को सीएम मान भी चुके हैं। कमलनाथ के भोपाल स्थित आवास में बिना अनुमति अचानक पहुंचने वाले कांग्रेस कार्यकर्ताओं के लिए कोई कुर्सी नहीं है। इधर कमलनाथ को लगता है कि वक्त बहुत कम बचा है। कहीं कोई तैयार चूक ना जाए। कहीं कोई नुक्सान ना हो जाए। वो हड़बड़ी में फैसले ले रहे हैं, बयान जारी कर रहे हैं। कहीं ऐसा ना हो कि कमलनाथ की यही जल्दबाजी उनकी जिंदगी की सबसे बड़ी बिफलता का कारण बन जाए।