कर्नाटक: विजेता होने के लिए जेडीएस का साथ जरूरी | EDITORIAL

राकेश दुबे@प्रतिदिन। कर्नाटक में हए मतदान के बाद तमाम राष्ट्रीय और क्षेत्रीय चैनलों ने अपने-अपने एग्जिट पोल के नतीजे पेश किये। 12 एग्जिट पोल्स में से 7 में बीजेपी को सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरने का दावा किया गया है। वहीं इनमें से 5 एग्जिट पोल्स में कांग्रेस को सबसे बड़े दल के रूप में उभरने का अनुमान जताया गया है। खास बात यह है कि किसी भी सर्वे में किसी भी दल के लिए 120 सीटों से ज्यादा पाने का दावा नहीं किया गया है। संदेश साफ है, नतीजे जो भी हों सभी एग्जिट पोल्स एक बात पर एकमत हैं कि चाहे जो भी सबसे बड़ा दल बने, उसे बहुमत के कुछ ही ऊपर नीचे रहना है। इस बात की भी बहुत संभावना है कि किसी भी दल को बहुमत न मिले। ऐसे में जेडीएस की भूमिका अहम हो जाएगी। त्रिशंकु विधान सभा की स्थिति में सरकार उसी की बनेगी जिसे जेडीएस समर्थन देगा।

पिछले कुछ चुनावों के नतीजों पर गौर करें तो त्रिशंकु विधान सभा की स्थिति में ज्यादा संभावना भाजपा की सरकार बनने की रहेगी। मौजूदा दौर में अमित शाह को गठबन्धन सरकार का सबसे बड़ा मास्टरमाइंड कहना अतिश्योक्ति नहीं होगी। बीजेपी के लिए कर्नाटक में सरकार बनाना कई कारणों से जीवन-मरण का सवाल है। सबसे पहले तो नरेंद्र मोदी और अमित शाह के "कांग्रेस मुक्त भारत" के उद्देश्य की पूर्ति के लिए इस महत्वपूर्ण राज्य से कांग्रेस को बाहर करना जरूरी हो जाएगा। अगर कर्नाटक से कांग्रेस बाहर हुई तो उसके पास केवल मिजोरम, पंजाब और पुदुच्चेरी बचेंगे। इन तीनों में कुल 15 लोक सभा सीटें आती हैं। कर्नाटक से बाहर होते ही कांग्रेस की हालत कई क्षेत्रीय दलों से भी खराब हो जाएगी। 

कर्नाटक भाजपा के लिए बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि ये पहला दक्षिण भारतीय  राज्य है जहाँ भाजपा की सरकार बनी थी। भाजपा के लिए कर्नाटक दक्षिण भारत का प्रवेश द्वार है। केरल के पिछले विधान सभा चुनाव में भाजपा ने इतिहास में पहली बार अपना खाता तो खोल लिया लेकिन अब भी वो वहां कांग्रेस और सीपीएम से काफी पीछे है। तमिलनाडु में जयललिता के निधन और करुणानिधि के बुढ़ापे की वजह से जो राजनीतिक निर्वात तैयार हो रहा था उसे भरने के लिए दोनों महारथी रजनीकांत और कमल हासन जयललिता और करुणानिधि की तरह ही सिनेमा से सम्बन्ध रखते हैं। आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में भी क्षेत्रीय दलों और कांग्रेस का ही प्रभाव ज्यादा है।  ऐसे में दक्षिण में कुछ करने के लिए कर्नाटक बीजेपी की बड़ी जरूरत है। 

यह पहला विधान सभा चुनाव चुनाव है जिसमें नरेंद्र मोदी और राहुल गांधी खुलकर आमने-सामने थे। गुजरात चुनाव के मतदान के बाद राहुल गांधी कांग्रेस अध्यक्ष बने थे। कर्नाटक चुनाव के लिए मतदान होने से पहले ही राहुल गांधी ने खुलकर कह दिया कि 2019 में मौका लगा तो उन्हें प्रधानमंत्री बनने से कोई ऐतराज नहीं। राहुल ने पीएम मोदी को बहस की चुनौती देकर भी इस तुलना को हवा दी। इस साल के आखिर तक राजस्थान और मध्य प्रदेश विधान सभा के भी चुनाव हो सकते हैं। इन दोनों राज्यों में भी कर्नाटक की तरह बीजेपी और कांग्रेस के बीच मुकाबला होगा। राहुल और पीएम मोदी आमने-सामने होंगे। और ये चुनाव २०१९  के लोक सभा चुनाव के रिहर्सल की तरह होंगे।

यह साफ दिखाई दे रहा है की सरकार बनाने में जे डी एस की भूमिका महत्वपूर्ण हो सकती है। अगले 24 घंटों में सब साफ़ हो जायेगा।
श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।
संपर्क  9425022703        
rakeshdubeyrsa@gmail.com
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