10 लाख बैंक कर्मचारियों की हड़ताल घोषित, आज ही निपटा लें बैंक के काम

मुंबई। मई के आखिरी दो दिन बैंकों के कामकाज पर असर पड़ेगा, क्योंकि 30-31 मई को देशभर के 10 लाख से ज्यादा बैंककर्मी हड़ताल पर रहेंगे। ये लोग इंडियन बैंक एसोसिएशन (आईबीए) की ओर से वेतन में सिर्फ 2% बढ़ोतरी का विरोध कर रहे हैं। बता दें कि 5 मई को इस मुद्दे पर हुई बैठक में आईबीए ने ये प्रस्ताव दिया था। कर्मचारियों का कहना है कि वेतन में 2% इजाफा कोई मायने नहीं रखता। मांगों को लेकर यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस और आईबीए के बीच 2 मई 2017 से 12 नवंबर 2017 के बीच 13 बैठकें हुई थीं। हाल ही में 5 मई को इस मुद्दे पर आखिरी बातचीत हुई है। बैंक कर्मचारियों की वेतन बढ़ोतरी पिछले साल नवंबर से बकाया है।

क्या हैं बैंक कर्मचारियों की मांगें ?

वेतन निर्धारण की प्रक्रिया जल्द पूरी की जाए।
वेतन-भत्तों में उचित बढ़ोतरी की जाए।
सभी ग्रेड के अधिकारियों को शामिल किया जाए। 
अन्य सेवा शर्तों में सुधार किया जाए।

10 लाख कर्मचारी 48 घंटे हड़ताल पर रहेंगे, बैंकिंग सेवाएं प्रभावित होंगी
यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस के बैनर तले देशभर में ये हड़ताल होगी। इस फोरम से देशभर की 9 बैंक यूनियन जुड़ी हैं। इनमें एसबीआई समेत दूसरी सरकारी बैंकों के 10 लाख कर्मचारी और अधिकारी शामिल हैं। 30 मई को सुबह 6 बजे से एक जून की सुबह तक बैंककर्मी कामकाज नहीं करेंगे। इससे बैंकिंग सेवाओं पर असर पड़ेगा और लोगों को परेशानी होगी।

पिछली बार 15% बढ़ोतरी, इस बार सिर्फ 2% क्यों ?

पिछली बार एक नवंबर 2012 से 31 अक्टूबर 2017 तक के लिए बैंक कर्मचारियों के वेतन में 15% बढ़ोतरी की गई थी। ऐसे में बैंककर्मी 2% बढ़ोतरी के प्रस्ताव को मजाक बता रहे हैं। आईबीए ने ये भी कहा कि अधिकारियों की मांग पर बातचीत स्केल-III तक के अधिकारियों तक सीमित होगी।

घाटे के लिए कर्मचारी जिम्मेदार नहीं: यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस

आईबीए ने बैंकों के घाटे का हवाला देते हुए वेतन में 2% बढ़ोतरी का प्रस्ताव दिया। बैंक कर्मचारी इसे गलत बता रहे हैं। उनके मुताबिक सरकारी बैंकों का ऑपरेटिंग प्रॉफिट बढ़ रहा है लेकिन इसका 70% एनपीए की प्रोविजनिंग में जा रहा है। यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस के संयोजक देवीदास तुलजापुरकर ने कहा कि नोटबंदी समेत जन-धन, मुद्रा और अटल पेंशन जैसी सरकारी योजनाओं के लिए पिछले 2-3 साल में बैंक कर्मचारियों ने काफी मेहनत की है। कर्मचारियों पर काम का बोझ काफी बढ़ गया। 
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