बिना जांच किए ही रिपोर्ट बना देती थी पैथोलॉजी लैब, 30 हजार फर्जी रिपोर्ट्स | NATIONAL NEWS

NEW DELHI | CRIME | एक आम आदमी क्या विशेषज्ञ DOCTOR भी PATHOLOGY LAB की रिपोर्ट पर भरोसा करते हैं और उसी के आधार पर मरीजों को दवाईयां दी जातीं हैं परंतु जरा सोचिए, यदि कोई पथॉलजी लैब मरीज का सेंपल तो ले लेकिन उसकी जांच ही ना करे। एक FAKE REPORT बनाकर थमा दे तो क्या होगा। भारत की राजधानी दिल्ली में यह सबकुछ धड़ल्ले से चल रहा था और पिछले 1 साल से चल रहा था। करीब 30 हजार मरीजों को फर्जी पथॉलजी लैब रिपोर्ट थमा दी गईं। उनका क्या हुआ यह तो पता नहीं चला परंतु फर्जी पथॉलजी लैब का भांडाफोड़ हो गया। 

ऐसे तैयार किया प्लान
पुलिस उपायुक्त असलम खान के मुताबिक मुख्य आरोपी अजय वाराणसी में दस साल तक पैथोलोजी लैब में काम कर चुका था। इस वजह से वह इस पेशे के बारे में अच्छी तरह जानता था। काम छोड़ने के बाद वह दिल्ली आया और अपने भाई संजय के साथ मिलकर लैब खोलने का प्लान तैयार किया। इसके बाद उसने पिछले साल महेन्द्र पार्क इलाके में लैब खाेली। इस लैब का दावा था कि उससे चार डॉक्टर जुड़े हुए हैं जिनके नाम पर ये रिपोर्ट आॅनलाइन ही डिजिटल हस्ताक्षर के माध्यम से जारी करते थे। अजय ने अपनी लैब की वेबसाइट बनाई और सस्ती दरों पर कूरियर के माध्यम से नमूने मंगाने की व्यवस्था की।

सिर्फ दो कर्मचारी, उसमें भी एक भाई
जो दो लोग रिपोर्ट तैयार करते हैं, उनमें से एक लैब के मालिक अजय यादव का भाई संजय यादव है। जबकि दूसरी महिला कर्मचारी संगीता को अजय यादव ने नौकरी पर रखा हुआ था। इसके अलावा कहीं कोई कर्मचारी नहीं था।

कंप्यूटर पर तैयार रहता था फॉर्मेट
देशभर से सराय पीपलथला के पते पर आए सैंपल काे जमा करते थे। दोनों सैंपल को देखकर रिपोर्ट तैयार करते थे। अजय ने कंप्यूटर पर एक फॉर्मेट तैयार कर रखा था। इसमें बीमारियों के नमूनों की रेंज पहले से लिखी होती थी।

रेंज में छोड़ दिया जाता था फर्क
दोनों कर्मचारी उस फॉर्मेट पर मरीज का नाम, सैंपल नंबर आदि डालकर रिपोर्ट तैयार कर देते थे। किसी भी लैब को शक न हो ऐसे में हर मरीज की रिपोर्ट में खून के नमूनों की जांच की रेंज में अक्सर कुछ प्वाॅइंट का फर्क छोड़ा जाता था।

देश भर में हो सकतीं हैं ऐसी पैथोलॉजी लैब
दिल्ली के उत्तर पश्चिम इलाके महेंद्र पार्क में स्थित इस फर्जी लैब को चलाने वाले दो भाई अपने कारोबार को विस्तार देने की कोशिश में लगे हुए थे। इसके लिए वे यूपी में किराये पर एक कमरा भी लेने वाले थे लेकिन, अपनी नई योजनाओं को अंजाम देने से पहले ही पुलिस ने उन्हें धर लिया। उन्होंने किससे प्रेरित होकर यह काला कारोबार शुरू किया और उनसे प्रेरित होकर देश भर में कितने लोग ऐसा काला कारोबार कर रहे हैं। इसका खुलासा शायद कभी नहीं हो पाएगा क्योंकि सरकार ने अब तक इसके लिए कोई टास्क फोर्स गठित नहीं की है। 

एक किडनेपिंग की कॉल से हुआ खुलासा
एक सीनियर पुलिस अधिकारी ने बताया कि उन्हें एक लड़की का कॉल आया था, जिसने बताया कि खुद को सीबीआई अधिकारी बताने का दावा करने वाला शख्स उसके एंप्लॉयर को ले गया है। उसने बताया कि सीबीआई अफसर ने कहा था कि वह संजय को दो घंटे के बाद छोड़ देगा, लेकिन 6 घंटे बाद भी संजय के बारे में कोई जानकारी नहीं मिल सकी है। उत्तर पश्चिम दिल्ली के डीसीपी असलम खान ने बताया कि जब पुलिस ने संजय से संपर्क साधने की कोशिश की तो उसका फोन स्विच ऑफ पाया गया। 

कैसे पकड़ी गई जालसाजी
महेंद्र पार्क के एसएचओ वीरेंद्र कादयान के नेतृत्व में टीम संजय की पैथ लैब में गई। पूछताछ के दौरान पुलिस अधिकारियों का ध्यान लैब की तरफ गया तो वहां की स्थिति अजीब सी थी। पुलिस ने जब मौके पर मौजूद युवती से टेस्टिंग मशीनों के बारे में पूछा तो वह कुछ बता न सकी और कहा कि वह 4 दिन पहले से ही यहां नौकरी कर रही है। कुछ मिनटों के बाद ही अजय लैब में आया। वह भी मशीनों के बारे में सही से कुछ बता नहीं पाया और थोड़ी देर की पूछताछ में ही उसने पुलिस को फर्जी लैब का सच बता दिया। 

लड़की से मजाक कर रहा था संजय और धर लिया गया
हालांकि पुलिस ने जब सीबीआई अधिकारियों से लैब में किसी को भेजे जाने के बारे में पूछा तो उन्होंने साफ इनकार किया। इसके बाद पुलिस ने संजय के फोन को ट्रैक किया। इससे पता चला कि संजय की आखिरी लोकेशन बाहरी दिल्ली के एक बैंक की थी, जहां उसने पैसे निकाले थे। इसके बाद बैंक की सीसीटीवी फुटेज को स्कैन किया गया और उसकी पहचान हो गई। कुछ देर बाद ही पुलिस ने उसे अरेस्ट कर लिया। पुलिस के मुताबिक संजय का भाई अजय इस पूरे रैकेट का मास्टरमाइंड था। चौंकाने वाली बात तो यह है कि संजय अपनी महिला कर्मचारी के साथ मजाक कर रहा था। वो देखना चाहता था कि लड़की उसके लिए कितना परेशान होती है। शायद उसे किसी फिल्मी सीन की उम्मीद थी लेकिन लड़की ने पुलिस को फोन लगा दिया और फर्जी लैब का खुलासा हो गया। 

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