
उन्होंने कहा कि आने वाला चुनाव कुशाभाऊ ठाकरे-राजमाता सिंधिया को समर्पित होगा। इसे संगठन के दम पर लड़ा जाएगा। गौरतलब है कि अभी तक तमाम नेता यही दोहरा रहे थे कि 2018 का चुनाव शिवराज सिंह चौहान के ही नेतृत्व में लड़ा जाएगा। पिछले दिनों कैलाश विजयवर्गीय ने भी ऐसा ही बयान दिया था। माना जा रहा था कि मुकाबला शिवराज सिंह और कांग्रेस के बीच होगा परंतु अब लगता है कि भाजपा में बात बदल गई है। शिवराज सिंह का विरोध अमित शाह के कानों तक ठीक प्रकार से पहुंचा है।
तो इसलिए कुर्सी खाली कर रहे थे शिवराज
पिछले दिनों सीएम शिवराज सिंह, अमित शाह से मिलने दिल्ली गए। लौटकर आए तो आनंद विभाग के एक कार्यक्रम में उन्होंने कुर्सी खाली कर दी। कहा अब जो चाहे सीएम की कुर्सी पर बैठ सकता है। बाद में उन्होंने इसे एक मजाक करार दिया परंतु सबको पता था कि यह मजाक नहीं है। शिवराज सिंह ने पिछले 14 साल में ऐसा मजाक नहीं किया तो फिर चुनावी साल में क्यों करेंगे। अमित शाह के इशारे के बाद स्थिति स्पष्ट हो गई। शिवराज सिंह को संकेत दिए जा चुके हैं। कुर्सी खाली करना है।