
लोग आए आगे
रेल मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा, 'हमने महसूस किया कि जब 2016 में हमने लोगों से 100 प्रतिशत रियायत छोड़ने को कहा था तो कई लोगों ने ऐसा नहीं किया। 2017 में जब 50 प्रतिशत सब्सिडी छोड़ने का विकल्प दिया गया तो कई लोग आगे आए और इसे अपनाया।'
लोगों को प्रोत्साहित करने के लिए वेबसाइट स्थापित
अधिकारी ने कहा कि यह योजना पूरी तरह से स्वैच्छिक है और अब हम अन्य रियायत लेने वालों को सब्सिडी छोड़ने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए अभियान चलाने की तैयारी कर रहे हैं। अभियान का उद्देश्य ज्यादा से ज्यादा लोगों को जागरूक करके यात्रा किराए पर रियायत छोड़ने के लिए प्रोत्साहित करना है। इसके साथ ही एक वेबसाइट स्थापित करने की भी प्रक्रिया है, जिसमें न केवल सब्सिडी छोड़ने से रेलवे की बजत की जानकारी होगी बल्कि रियायत छोड़ने वालों का डेटा भी होगा। अभियान के हिस्से के रूप में इन श्रेणियों के लोगों को प्रोत्साहित करने के लिए सभी वरिष्ठ नागरिकों (सब्सिडी छोड़ चुके) को रेल मंत्री पीयूष गोयल की ओर से व्यक्तिगत पत्र भेजा जाएगा।
33,000 करोड़ रुपये का असर
रेलवे विकलांग, कैंसर, थैलेसेमिया, दिल एवं गुर्दा रोगियों, युद्ध में खेत रहे सैनिकों की विधवाओं और विद्यार्थियों समेत 53 श्रेणियों में यात्रा किरायों में छूट देती है। जिसकी वजह से उसे सालाना करीब 33,000 करोड़ रुपये की कमाई से वंचित होना पड़ता है।
अधकारी ने बताया कि आधी ही सही, सब्सिडी छोड़ने वाले वरिष्ठ नागरिक श्रेणी के यात्रियों को रेलमंत्री पियूष गोयल की ओर से व्यक्तगत किस्म का सराहना पत्र भेजा जाएगा। रेलवे एक वेबसाइट भी शुरू करने जा रही है जिसमें वरिष्ठ नागरिकों की ओर से छोड़ी गयी सब्सिडी और ऐसे यात्रियों की सूचना प्रकाशित की जाएगी।
मंत्री के हाथ होंगे सम्मानित
रेलवे ऐसे वरिष्ठ नागरिकों को न्यूजलेटर और एसएमएस संदेश भेज कर तथा कुछ को बुला कर मंत्री के हाथों सम्मानित करने का विचार कर रही है। जुलाई-मार्च 2017-18 के दौरान 10 लाख से अधिक वरिष्ठ नागरिकों ने 100 प्रतिशत तक और 9 लाख से अधिक ने 50 प्रतिशत तक रियात स्वैच्छा से छोड़ी। इससे रेलवे को 32.30 करोड़ रुपए का फायदा हुआ। अगस्त 2016 से इस साल मार्च तक 40 लाख वरिष्ठ यात्री रियायत छोड़ चुके हैं जिससे रेलवे को करीब 77 करोड़ रुपये की बचत हुई है।