मेरे को जाना पड़ेगा, 'राष्ट्रगान' के लिये रुक नहीं पाऊंगा: राज्यपाल राम नाईक | NATIONAL NEWS

वाराणसी। एक स्कूल में कार्यक्रम में शिरकत करने पहुंचे महामहिम राज्यपाल राम नाईक समय का आभाव बता राष्ट्रगान में शामिल होने से पहले मना कर दिया, हालांकि आयोजनों ने किसी तरह से आनन-फानन में राष्ट्रगान करा कार्यक्रम खत्म कर दिया। दरअसल, अपने संबोधन के बाद राज्यपाल ने कहा कि उन्हें देर हो रही है, मेरे को जाना पड़ेगा, देर हुई तो मैं 'जन गण मन' के लिये रुक नहीं पाऊंगा।

दरअसल, शनिवार को यहां एक निज़ी स्कूल में विश्व संस्कृत प्रतिष्ठानम् रामनगर दुर्ग संस्था के तत्वाधान में संस्कृत प्रतिष्ठान दिवस मनाया गया। जिसमें बतौर मुख्यातिथि राज्यपाल रामनाईक, पद्मश्री पंडित वागीश शास्त्री भी मौज़ूद रहे। पूरे कार्यक्रम में संस्कृत के प्रचार-प्रसार पर चर्चा हुई। छात्र-छात्राओं ने संस्कृत में गायन किया। कार्यक्रम का संचालन भी संस्कृत में हुआ। रामनगर राज परिवार के लोग भी कार्यक्रम में सम्मिलित रहे। राज्यपाल राम नाईक ने बताया कि संस्कृत ऐसी भाषा है जो कम शब्दों में ज्यादा अर्थ देती है और सबसे पुरातन भाषा है।

उन्होंने बताया कि लगभग सभी विद्यालयों के लोगो में, न्यायपालिका कार्यपालिका में ,सभी में संस्कृत का प्रयोग हुआ हैं। इससे संस्कृत की महत्ता का पता चलता है। सत्यमेव जयते हो या संसद में स्पीकर के पीछे की पट्टिका में लिखा हुआ धर्म चक्र प्रवर्तन हो।

राज्यपाल महोदय को शाम होने से पहले जल्दी हेलीकॉप्टर से लखनऊ पहुंचना था। लिहाजा अपना संबोधन खत्म करने के साथ ही वो मंच से जाने लगे, आयोजकों ने राष्ट्रगान के लिए उन्हे रुकने को कहा, लेकिन समयाभाव बताते हुए कार्यक्रम को जल्दी खत्म करने की बात कही जिसके बाद आयोजकों को आगे का प्रोग्राम रोक राष्ट्रगान कराना पड़ा। आखिरकार राज्यपाल राष्ट्रगान में शामिल होकर वहां से रवाना हो गए।

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