अब स्टेट बार एसोसिएशन ने की दलित संगठनों के खिलाफ कार्रवाई की मांग | MP NEWS

जबलपुर। अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम 1989 में संशोधन को लेकर सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए आदेश के विरोध में 2 अप्रैल भारत बंद किया गया। उस दौरान हुई हिंसक घटनाओं का मप्र हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने भारत बंद को सुप्रीम कोर्ट की अवमानना बताया है। बार एसोसिएशन ने बताया कि प्रदर्शनकारी स्टेट बार काउंसिल के सामने डीजे लगाकर वकीलों और सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ नारेबाजी कर रहे थे। 

जबलपुर में भारत बंद के दौरान दलित संगठनो के हजारों की संख्या कार्यकर्ताओ ने बाबा साहब अम्बेडकर चौक पर एकत्रित होकर वहां से  रैली निकालकर शहर को बंद कराया था। जिस पर मध्यप्रदेश हाई कोर्ट बार एसोसिएशन आरक्षित वर्ग द्वारा किये गए, भारत बंद को असंवैधानिक बताते हुए इस आंदोलन को सुप्रीम कोर्ट के फैसले की अवमानना बताया है।

हाई कोर्ट बार एसोसिएशन का कहना है कि, भारत बंद के दौरान प्रदर्शनकारी स्टेट बार काउंसिल के समक्ष डीजे लगाकर अधिवक्ताओं और सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ नारेबाजी कर रहे थे, जो की पूर्ण रूप से सुप्रीम कोर्ट के फैसले की अवमानना है। एसोसिएशन ने प्रदेश सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि, पूरा मामला प्रदेश सरकार के इशारे पर हो रहा था। जिला प्रशासन और पुलिस को प्रदर्शनकारियों पर कार्रवाई न करने की हिदायत दी गई थी। 

हाई कोर्ट बार एसोसिएशन भले ही भारत बंद करने वाले दलित संगठनों के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रहा है लेकिन लोगों का कहना है कि, सैकड़ों से अधिक अधिवक्ताओं ने भी दलित संगठनों के साथ रैली में शामिल होकर भारत बंद का समर्थन किया और सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए फैसले का विरोध किया था। हालांकि हाई कोर्ट बारे एसोसिएशन भारत बंद में शामिल अधिवक्ताओं पर कार्रवाई करने की बात कर रहा है।

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