डेस्क। सीरिया एक बार फिर जल उठा है। केमिकल अटैक के बाद मिसाइल से हमला हुआ। सीरिया ने मस्टर्ड गैस का उपयोग किया गया है। प्रथम विश्वयुद्ध में भी इसका प्रयोग किया गया था। यह आखों के जरिए भी शरीर में घुस जाती है और प्रभावित व्यक्ति को मार डालती है। अमेरिका, रूस और इसराइल इस मामले में दखल दे रहे हैं। जल्द ही एक बार फिर बड़ी कार्रवाई नजर आएगी। क्या आप जानते हैं कि सीरिया में अब तक इसी तनाव के चलते 4 लाख लोगों की मौत हो चुकीं हैं। आइए जानते हैं कब से शुरू हुआ यह किस्सा और अब क्या हालात हैं:
लोकतांत्रिक विरोध को आतंकवाद करार दिया
सीरिया में गृहयुद्ध शुरू होने का एक बड़ा कारण बेरोजगारी, व्यापक भ्रष्टाचार, राजनीतिक स्वतंत्रता का अभाव और राष्ट्रपति बशर अल-असद के दमन की अवधारणा रही है। बशर अल-असद ने साल 2000 में अपने पिता हाफेज अल असद की जगह ली थी। अरब के कई देशों में सत्ता के खिलाफ शुरू हुई बगावत से प्रेरित होकर मार्च 2011 में सीरिया के दक्षिणी शहर दाराआ में भी लोकतंत्र के समर्थन में आंदोलन शुरू हुआ था। असद ने आंदोलन का दमन शुरू किया जिसके बाद राष्ट्रीय स्तर पर विरोध-प्रदर्शन शुरू हो गया और लोगों ने बशर अल-असद से इस्तीफे की मांग शुरू कर दी। असद ने इस विद्रोह को विदेश समर्थित आतंकवाद करार दिया और इसे कुचलने का संकल्प लिया।
गृहयुद्ध के बाद कई देशों का हस्तक्षेप
उन्होंने फिर से देश में अपना नियंत्रण कायम करने की कवायद शुरू की। दूसरी तरफ विद्रोहियों का ग़ुस्सा थमा नहीं था। 2012 आते आते सीरिया बुरी तरह से गृहयुद्ध में प्रवेश कर चुका था। सैकड़ों विद्रोही गुटों ने एक समानांतर व्यवस्था स्थापित कर ली ताकि सीरिया पर उनका नियंत्रण कायम हो सके। इसके साथ ही सीरिया की लड़ाई में क्षेत्रीय और दुनिया की ताकतों का हस्तक्षेप शुरू हो गया, जिसमें ईरान, रूस, सऊदी अरब और अमरीका आदि देश शामिल हैं।
4 लाख लोगों की हो चुकी है मौत
ये चित्र तो याद होगा: समुद्र में बहता एक मासूम का शव. विश्व बैंक के अनुसार सीरिया के गृहयुद्ध में 2011 से अब तक चार लाख से अधिक लोग मारे गए हैं। वहीं, संयुक्त राष्ट्र के अनुसार इस युद्ध में 56 लाख से ज्यादा सीरियाई नागरिक शरणार्थी बने जबकि देश में 1.3 करोड़ लोगों को मानवीय सहायता की जरूरत है। अंतरराष्ट्रीय शरणार्थी अधिकार संगठन के के अनुसार मरने वालों में 26466 बच्चे शामिल हैं। सीरिया युद्ध के दौरान लगभग एक करोड़ तीस लाख लोग अपने घर छोड़कर चले गए जो शरणार्थियों का जीवन जी रहे हैं। सीरिया युद्ध ने 35 लाख बच्चों को शिक्षा जैसे उनके मूलभूत अधिकार से वंचित कर दिया।
पहले भी हुए रासायनिक हमले
सीरिया में हुए गैस अटैक या केमिकल अटैक में 180 लोगों की मौत की बात सामने आ रही है। मरने वालों की संख्या और अधिक होने का अनुमान लगाया जा रहा है। सीरिया में यह पहला रासायनिक हमला नहीं है। हाल ही में एदलिब में हुए रासायनिक हमले में करीब 100 लोगों ने अपनी जान गंवाई थी। इससे पहले दो बार सीरिया के हामा प्रांत में गैस अटैक होने की बातें कही गई थीं। वहीं वर्ष 2015 में अमरीका ने दावा किया था कि आईएसआईएस ने सीरिया में केमिकल हथियारों का प्रयोग करना शुरू कर दिया है। इस हमले में मस्टर्ड गैस का प्रयोग किया जाता है।
युद्ध ने बढ़ाई 50 प्रतिशत बेरोजगारी
पांच साल से अधिक की लड़ाई ने सीरिया की अर्थव्यवस्था को बर्बाद कर दिया है, सीरियन सेंटर फ़ॉर पॉलिसी रिसर्च के अनुसार कुल आर्थिक नुकसान करीब 225 अरब डॉलर (150.98 खरब रुपये से ज़्यादा) का हुआ है। बेरोजगारी के 50 प्रतिशत से भी ज़्यादा होने के कारण सीरियाई परिवारों को दैनिक आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए जूझना पड़ रहा है। करीब 70 प्रतिशत आबादी भयंकर गरीबी में जी रही है जिसे मूलभूत खाद्य और अखाद्य पदार्थ भी नहीं मिल रहा।
बेहद खतरनाक है मस्टर्ड गैस
मस्टर्ड गैस को सल्फर मस्टर्ड गैस के नाम से भी जानते हैं। यह एक केमिकल है जो शरीर में सांस लेने से पहुंचता है। आंखों और स्क्रीन से भी यह शरीर में पहुंच जाता है। इस गैस को पहले वर्ल्ड वॉर में पहली बार प्रयोग किया गया था। उस समय इस गैस के प्रयोग का मकसद ज्यादा से ज्यादा दुश्मनों का सफाया करना था।