
संकल्प के तहत तकरीबन 80 वर्षो से मौन धारण किए थे। अपनी बात स्लेट पर लिखकर बयां करते थे। जीवनपर्यंत सिर्फ दूध और फल का आहार किया। सबका भला हो और विश्व का कल्याण, यही उनकी अंतिम इच्छा थी। इसके लिए उन्होंने महाकुम्भ सिंहस्थ-2016 में 100 वर्षीय अखंड यज्ञ की स्थापना की। दिवंगत पूर्व मंत्री अर्जुनसिंह ने मौनीबाबा की प्रेरणा से राष्ट्रीय वेदविद्या प्रतिष्ठान की स्थापना कराई थी। पदमश्री सोमा घोष सहित उनके हजारों अनुयायी है, जो संतश्री के निधन की खबर से शोक मैं है।
डेढ़ माह से पुणे में चल रहा था इलाज
पुणे के एक अस्पताल में मौनीबाबा का डेढ़ माह से इलाज चल रहा था। उन्हें श्वास की समस्या थी। बाद में निमोनिया हो गया था। चार दिन पहले वे ठीक भी हो गए थे। मगर शुक्रवार दोपहर तबियत बिगड़ने पर उन्हें दोबारा वेंटिलेटर पर रखना पडा और शनिवार अलसुबह ब्रह्मलीन हो गए।