
लड़कियों की पीड़ा की कहानी उन्हीं की जुबानी...
यूनिवर्सिटी की रानी लक्ष्मीबाई गर्ल्स हॉस्टल में रहने वाली स्टूडेंट्स ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, "और मेरे जैसी 20 लड़कियां उस दिन से ठीक से सो भी नहीं पाई हैं, जिस दिन सेनेटरी नैपकिन पाए जाने पर हमारे कपड़े उतरवाए गए थे। हम में से कई तो क्लास जाने से भी डर रहीं हैं। हर पल यही लगता है कि कहीं बाहर निकलते ही साथ पढ़ने वाले लड़के हमारा मजाक न बनाने लगें।"
छात्राओं को आत्महत्या की धमकी दी थी
लड़कियों के मुताबिक "सोमवार सुबह वार्डन प्रो. चंदा बेन हॉस्टल आईं थीं, उन्होंने फिर हमें खरी-खोटी सुनाते हुए धमकी दी कि यदि किसी ने भी उनके खिलाफ कुछ कहा तो वे खुदकुशी कर लेंगी और हमें फंसा देंगी। यह बात बताने कुलपति के पास पहुंचे तो देखा कि कल तक जो लड़के हमें छेड़ते थे आज वही हमारे लिए नारे लगा रहे हैं।
हमारे साथ जो हुआ है उसका न्याय जरूर चाहिए
आगे उन्होंने बताया, "हमारे साथ हुई अभद्रता को अब पॉलीटिकल रंग दिया जा रहा है। कोई आउटसोर्सिंग करने वाली कंपनी की चैकिंग करने को कह रहा है तो कोई विवि के खिलाफ नारेबाजी। हम विवि की प्रतिष्ठा धूमिल नहीं होने देना चाहते, लेकिन हमारे साथ जो हुआ है उसका न्याय जरूर चाहिए।"
अब हम अपनी लड़ाई खुद लड़ेंगे
लड़कियों ने कहा, "कमेटियां तो उस समय भी बनी थी जब हमारी एक साथी सतरूपा पटेल हॉस्टल का गंदा पानी पी-पीकर मौत की नींद सो गई। तब भी हमने बाहर निकलकर अपने लिए लड़ने की हिम्मत दिखाई, हंगामा भी किया, लेकिन हुआ क्या? आज तक कमेटी की जांच रिपोर्ट नहीं आई, केवल जिम्मेदारों को यहां-वहां कर मामले की फाइल बंद कर दी। लेकिन अब सवाल है व्यवस्था का। विवि प्रशासन कब इतना सक्षम होगा कि हमारे साथ कुछ भी गलत करने से पहले जिम्मेदारों के हाथ-पैर कांपे। अब हम अपनी लड़ाई खुद लड़ेंगे और वह भी तब तक जब तक कि इंसाफ नहीं मिलता।"
कुलपति और अफसरों को थमाए सेनेटरी नैपकिन
घटना का विरोध करते हुए दोपहर करीब 2 बजे एनएसयूआई के कार्यकर्ता हाथ में सेनेटरी नेपकिन लेकर विवि के डीन ऑफिस में घुस गए। इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने कुलपति को भी नैपकिन देने की कोशिश की, लेकिन अफसरों ने उन्हें रोक दिया। आम आदमी पार्टी और गौर यूथ फोरम ने भी मामले को लेकर कुलपति से मुलाकात की और मामले में न्याय संगत कार्रवाई करने की मांग की।
सांसद के बयान पर मचा बवाल
मामले को लेकर सांसद लक्ष्मीनारायण यादव का एक वीडियो सामने आया है, जिसमें उन्होंने घटनाक्रम पर दुख तो व्यक्त किया, लेकिन घटना को छोटा करार देते हुए इसे विवि की प्रतिष्ठा के खिलाफ षड्यंत्र बताया।
पांच सदस्यीय कमेटी ने हॉस्टल में की पूछताछ
मामले की जांच के लिए विवि ने पांच सदस्यीय कमेटी का गठन किया है। इसमें समाजसेवी मीना पिंपलापुरे, फैकल्टी अफेयर्स की डायरेक्टर प्रो. अर्चना पांडे, डायरेक्ट एचआरडीसी प्रो. निवेदिता मैत्रा, ईसी मेंबर डॉ. नेहा निरंजन और मेडिकल ऑफिसर डॉ. किरण माहेश्वरी के नाम शामिल हैं। इनके अलावा हॉस्टल की दो स्टूडेंट्स को जांच के दौरान ऑर्ब्जबर के रूप में रखा गया है। टीम ने सोमवार शाम हॉस्टल पहुंचकर मामले की जांच शुरू कर दी है। टीम को 28 मार्च तक जांच पूरी कर प्रतिवेदन प्रस्तुत करना है।
वार्डन की हालत बिगड़ी, तीन दिन के अवकाश पर
इस घटनाक्रम के बाद प्रो. चंदा बेन की तबियत अचानक खराब हो गई और वे तीन दिन के चिकित्सीय अवकाश पर चली गई हैं। वहीं दिनभर चले घटनाक्रम और छात्र संगठनों की मांग के बाद कुलपति ने केयरटेकर को हटाने के निर्देश जारी किए और वार्डन प्रो. चंदा बेन के हॉस्टल जाने पर रोक लगा दी है। इसके अलावा कुलपति ने केयरटेकर को नियुक्त करने वाली आउटसोर्सिंग कंपनी की जांच कराने की भी बात कही है।