
1. 75 अंको की कम्प्यूटर प्रश्न जिसमें कभी 53 अंकों को कम्प्यूटर प्रश्न आते है और 22 नम्बर की अन्य भाग आते है जैसे-मैथ हिन्दी पराग्राफ आदि जिसमें 50% माक्स पास होने के जरूरी होते है। 2. अंग्रेजी टाईपिंग का जिसमें कम से कम 30 शब्द पर मिनिट शब्द टाईप करने होते है। 3. हिन्दी टाईपिंग का जिसमें मात्र 20 शब्द पर मिनिट पास होने के लिए जरूरी रखा गया है। इस पेपर में भारी विरोधावास है इसका कारण कम्प्यूटर पेपर भी इतना कठिन रखा गया जिसको हल एक कम्प्यूटर विद्धान भी न कर पायें फिर भी युवाओं उसमें पास हो रहे है। हिन्दी प्रदेश में हिन्दी टाईपिंग मात्र 20 शब्द पर मिनिट रखी गई है।
मध्यप्रदेश शासन के सामान्य प्रशासन विभाग के पत्र क्रमांक सी3-15/2014/01/03 दिनांक 26फरवरी 2015 के अनुसार सीपीसीटी परीक्षा के आयोजन हेतु विस्तृत दिशा निर्देश जारी किये गये। जिसमें कहा गया विभिन्न विभागो के जितने भी कम्प्यूटर से सम्बधित पद है इनके लिए सीपीसीटी अनिवार्य योग्यता होगी। हुआ भी ऐसा सहायक ग्रेड-3 की भर्ती हेतु 2016-17 हेतु सीपीसीटी को अनिवार्य रखा गया जिस कारण लाखों युवा बेरोजगार सीपीसीटी तैयारी में जुट गये और सीपीसीटी निकाल भी ली इसमें में भी हूं। और एक बार फिर सरकार ने लाखों युवाओं मूर्ख एवं अपनी राजनीति का शिकार बनाया।
इसके सरकार ने पटवारी भर्ती परीक्षा-2017 में फिर नियम बदले गए और दो साल की अलग से समय सीमा तय कर दी जिस के कारण जो सीपीसीटी स्कोर धारक थे उनकी मेहनत पर पानी फिर गया। क्योंकि जो मध्यप्रदेश में पटवारी के फार्म केवल 50000 पचास हजार डालने थे वो 1000000 दस लाख से अधिक पहुच गयें और इसका खमयाजा मिला उन सीपीसीटी स्कोर धारकों को जिन्होने दिन रात मेहनत कर सीपीसीटी का परीक्षा को उत्तीर्ण किया सरकार हर समय बेरोजगार युवाओं के साथ खेल खेलती है और जिस कारण लाखों करोड़ों लोग बेरोजगार हो जाते है।
इसके बाद 2018 में फिर सरकार ने अपना फैसला बदला फिर कहा कि अब सीपीसीटी की कम्प्यूटर पदों के लिए जरूरत नही होगी। तो फिर क्यों सरकार दुनिया भर के डिप्लोमा क्यों करवा रही है। हजारों लोग सीपीसीटी की तैयारी में लग गये उनकों उम्मीद कायम हो गई कि अब हमारा नम्बर अब आ जाऐगा पर सरकार ने अपनी वोट बैंक की राजनीति के लिए फिर नियम में फेर बदल कर दिये। जिससे सीपीसीटी स्कोर धारित युवाओं के साथ शिवराज (मामाजी) सरकार न अपनी रोटी सेंकने के लिए सीपीसीटी की अनिवर्यता को खत्म कर दिया। इसी तरफ संविदा शिक्षक भर्ती में नियमों में फेर बदल का काम जारी है यदि इसी तरह युवाओं के जिन्द्गी से खिलवाड़ होता रहा तो आगे ये युवा क्या करगें ये तो समय ही बता सकता है।
आपने सही कहा सरकार यदि समय समय पर रिक्त पदों की भर्ती करती रहे तो इतनी बेरोजगार कभी भी नही होती जो अब हो रही है पर सरकार चुनाव कब है ये देखती है चुनाव टाईम कहां से रिक्त पद आ जाते है क्या आप बता सकते हो
अमित सोनी
मो-7999508036
ई-मेल- omsaichh@gmail.com