50 करोड़ डकारने वालों पर शिकंजा | EDITORIAL

Bhopal Samachar
राकेश दुबे@प्रतिदिन। आखिर भारत सरकार के वित्त मंत्रालय को मजबूरी में ही सही यह कदम उठाना पड़ा। वित्त मंत्रालय ने सभी सार्वजनिक क्षेत्र के BANK को 50 करोड़ रुपये से ज्यादा की रकम डकारने वाले खातों की सूची बनाकर CBI को सौंपने के निर्देश दिए हैं। इन निर्देशों का अर्थ है कि सरकार ने बैंकों के डूबे हुए या डुबाए गए LOAN की वसूली के लिए कमर कस लिया है। हकीकत में जिसे बैंकों की शब्दावली में ‘एनपीए’ कहते हैं, उसकी घोषित राशि 10 लाख करोड़ से ज्यादा हो चुकी है। यह आंकड़ा वह है जो हमारे सामने है। यदि सारे ऐसे खातों को खंगाला जाए तो न जाने यह आंकड़ा कितना ऊपर चला जाएगा ? देश की वित्तीय प्रबन्धन प्रणाली पर यह एक सवालिया निशान है कि अब तक क्या हो रहा था ?

बैंकिग शब्दावली में एनपीए का मतलब वैसे कर्ज से है, जिनकी वापसी की संभावना न के बराबर है। जिस तरह से कारोबारियों एवं बैंक अधिकारियों की मिलीभगत से बैंकों के धोखाधड़ी के मामले सामने आए हैं, उन्हें देखते हुए फंसे हुए कर्जे के संदर्भ में व्यापक और कठोर कदम उठाया जाना अपरिहार्य हो गया था। आखिर हमारी आपकी गाढ़ी कमाई को कुछ लोग इस तरह डकार लें और उनसे वसूली की कोशिश न हो, वे छुट्टे घूमते रहें तो फिर कानून के राज का अर्थ क्या है?

वित्त मंत्रालय ने सभी बैंक के प्रबंध निदेशकों को 15 दिनों के अंदर ऐसे खातों की सूची सीबीआई को सौंपने की जिम्मेवारी दी गई है। अगर ऐसा नहीं किया तो फिर इसके लिए प्रबंध निदेशक ही जिम्मेवार बनाया गया है। वास्तव में सीबीआई के पास जाते ही मामला आपराधिक छानबीन का हो जाता है। केवल सीबीआई को ही इसमें शामिल नहीं किया गया है, जहां मनीलांड्रिंग का मामला दिखे, वहां प्रवर्तन निदेशालय और दूसरे मामलों में दूसरे विभागों का भी सहयोग लिया जाएगा। इसे एक तरह कह सकते हैं कि एनपीए की वसूली के लिए अब एक ठोस और कारगर अभियान आरंभ हो गया है, परन्तु यह काम आसान नहीं है और 50 करोड़ से ज्यादा का कर्ज लेने वालों की संख्या भी काफी ज्यादा है। इनके खातों की सूची आदि बनाने में समय लगेगा, किंतु एक बार सूची तैयार हुई और उसके बाद कार्रवाई भी आरंभ हो गई तो फिर सही दिशा में गाड़ी चल पड़ेगी। उम्मीद करनी चाहिए कि इसके कुछ ठोस परिणाम भी आएंगे।

होना तो यह चाहिए कि जिन कर्जखोरों की हालत धन लौटाने की है और उनके न लौटाने के पीछे कोई वाजिब कारण नहीं है उनके साथ किसी सूरत में मुरव्वत नहीं बरती जानी चाहिए। सीबीआई और अन्य विभाग तालमेल से कार्य करके जो गबन के दोषी हैं, उनको कानून के कठघरे में भी खड़ा करती है तो इससे साफ संदेश जायेगा कि जन धन लौटना ही होगा।
श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।
संपर्क  9425022703        
rakeshdubeyrsa@gmail.com
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