अंतर-निकाय संविलियन की अमान्य सूची में पात्र अभ्यर्थियों को शामिल कर दिया | ADHYAPAK NEWS

प्रति,
श्रीमान सम्पादक महोदय,
भोपाल समाचार, मप्र, भोपाल
विषय: 13/03/2018 को DPI, भोपाल से HS/HSS में अंतर-निकाय संविलियन की अमान्य सूची में पात्र अभ्यर्थियों के भी नाम शामिल किए गए। 
महोदय जी, उपरोक्त विषयांतर्गत निवेदन है कि मध्यप्रदेश शासन द्वारा दिनांक 10/07/2017 को जारी अंतर-निकाय संविलियन की नीति की कंडिका-1(1.2) के अंतर्गत निम्न शर्तें थीं-

1) जिनकी सेवावधि 5 वर्ष पूरी नहीं हुई है, वे केवल सामान्य से आदिवासी क्षेत्र के विद्यालयों में ही आवेदन कर सकते थे। इस नियम के तहत आवेदन करने पर तथा प्रावधिक सूची में ट्राइबल क्षेत्र के विद्यालय एलॉट होने पर भी हम कई आवेदकों को अमान्य सूची में शामिल कर
दिया है, जो कि नियम विरुद्ध है।

2) कंडिका-1(1.2) के स्पष्ट पालनार्थ आवेदन के समय शासन द्वारा सामान्य व आदिवासी क्षेत्रों के विद्यालयों की पृथक-पृथक सूची जारी नहीं की गई थी। इसके बावजूद भी हम तमाम आवेदकों ने "Tribal Schools in Madhya Pradesh" की साइट से विद्यालय देख-देख कर व शासन द्वारा जारी HS/HSS में रिक्त पदों वाली सूची से मिलान कर - कर के चॉइस फिलिंग की थी, जिनमें कुछ सामान्य विद्यालय भी शामिल हो गये थे.

शासन द्वारा विद्यालय एलॉट करते समय ऐसे आवेदकों को उनकी सेवावधि व उनकी सूची में ट्राइबल विद्यालयों को दरकिनार करते हुए सामान्य विद्यालय एलॉट कर दिये गये और बाद में सूची-सुधार के नाम पर हम पात्र अभ्यर्थियों को ट्राइबल विद्यालय एलॉट न करते हुए सूची से ही नाम हटाकर "अपात्र अभ्यर्थियों की अमान्य" सूची में डालकर हमारे साथ अन्याय किया गया है, जो कि नियम विरुद्ध है.

3) उक्त कंडिका के अंतर्गत हम कई विकलांग अभ्यर्थियों को भी प्रावधिक सूची में विद्यालय एलॉट होने के बावजूद  हमारे नाम अमान्य सूची में डाल दिये गये हैं, जबकि विकलांगों व गम्भीर बीमारी वाले लोगों के लिए समयावधि व विद्यालय-विशेष सम्बन्धी कोई शर्त नहीं थी, फिर भी हमें अपात्र घोषित कर दिया गया, जो कि नियम विरुद्ध है.

अत: सम्पादक महोदय जी से निवेदन है कि इस खबर को मध्यप्रदेश के अपने इस सुप्रसिद्ध ई-अखबार "भोपाल समाचार" में प्रकाशित कर शासन का इस ओर ध्यानाकृष्ट करवाकर हमारे आवेदनों की सही Scrutiny (सूक्ष्म व सही परीक्षण) करवाकर हमें न्याय दिलवाने की कृपा करें, जिससे हम अपने घरों, वृद्ध माता-पिता व बच्चों से 500 से 800 किलोमीटर की दूरी से उनके पास पहुँचकर तनावमुक्त व निश्चिंत होकर अपने विद्यालयों के परम-दायित्वों के साथ-साथ पारिवारिक दायित्वों का भी भलीभांति निर्वहन कर सकें.

अत: महोदय जी से निवेदन है कि इस ओर शासन का ध्यानाकृष्ट करवाने की कृपा अवश्य करें, अन्यथा हम अध्यापक-संवर्ग के ऐसे कई लोगों को माननीय उच्च-न्यायालय की शरण लेने के लिए मजबूर होना पड़ेगा।

न्याय के आकांक्षी
(1) महेश कुमार कुशवाह, वरिष्ठ अध्यापक
(2) कैलाश चन्द्र अटारिया, अध्यापक
(3) ऱाजकुमार सोनी, अध्यापक
(4) सुनील श्रीवास्तव, अध्यापक
(5) अनिल सेंगर, अध्यापक
एवं अन्य तमाम अध्यापक-संवर्ग साथी, मध्यप्रदेश
If you have any question, do a Google search

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!