बड़ा घोटाला: 265Cr. की कंपनियों के मालिक इंदौर के कॉल सेंटर में नौकरी करते मिले | BUSINESS NEWS

इंदौर। गुजरात में संचालित 265 करोड़ की कंपनियों के मालिक इंदौर के एक कॉल सेंटर में नौकरी करते मिले। चौंकाने वाली बात तो यह है कि दोनों मालिकों को पता ही नहीं था कि वो करोड़पति हो चुके हैं। वो हीरा का कारोबार करने वाली कंपनियों के मालिक हैं। दरअसल, यह एक बहुत बड़ा घोटाला है। खुलासा तब हुआ जब आयकर विभाग ने दोनों को टैक्स वसूली का नोटिस भेजा। पता चला है कि गुजरात में एक दर्जन से ज्यादा कंपनियां इसी तरह फर्जी दस्तावेजों के आधार पर चल रही हैं। चौंकाने वाली दूसरी बात यह है कि सभी कंपनियों का एक ही एड्रेस है, और उस पते पर केवल एक खंडहर मकान है। 

दस्तावेजों में बताया मुंबई का निवासी
कॉल सेंटर में काम करने वाले इंदौर के दो युवक सचिन और अनिल काले सूरत के पते पर कुछ दिन पहले इनकम टैक्स का एक करोड़ 74 लाख की वसूली का नोटिस आया, तब उन्हें पता चला कि वे 265 करोड़ की कंपनी के मालिक हैं। इन कंपनियों के दस्तावेजों में युवकों को मुंबई के चीरा बाजार स्थित ओम शांति भवन का निवासी बताया है। युवकों का कहना है कि मुंबई रहना तो दूर, वह कभी मुंबई गए ही नहीं।

खंडहर मकान में चल रही करोड़ों की कंपनियां
सूरत के हरिपुरा मेन रोड पर स्थित खंडहरनुमा मकान नंबर 6/2077 में करोड़ों का कारोबार दिखाने वाली 10 से ज्यादा कंपनियों का मुख्यालय है। इसी मकान में करोड़ों का हीरा व्यापार करने वाली वह कंपनी भी है, जिसका मालिक कॉल सेंटर में काम करने वाले इंदौर के दो युवकों को बना दिया गया है। सूरत के महीधरपुरा क्षेत्र का 75 साल पुराना यह मकान जर्जर हो रहा है, लेकिन हीरा व्यापारियों की फर्जी कंपनियों के जरिए करोड़ों के कालाधन को ठिकाने लगाने का सेंटर बना हुआ है।

दर्जनभर कंपनियों का फर्जी पता
पड़ताल में पता चला कि इस मकान में सिर्फ एक बुजुर्ग महिला किराए से रह रही हैं, पर आरओसी के दस्तावेजों में यह हीरा-जवाहरात का व्यापार करने वाली करीब दर्जनभर कंपनियों का मुख्यालय है। दस्तावेजों के अनुसार ही यहां से कंपनियां करोड़ों का कारोबार कर रही हैं। वीतराग और सोम एग्जिम प्राइवेट लिमिटेड ही इस पते से करोड़ों से ज्यादा का हीरा खरीदना और बेचना बता चुकी हैं। इसके अलावा अवनीता एग्जिम, समीक्षा ज्वेलर्स, प्रेरीका एग्ज़िम, रूबल जेम्स, मान्यता दियम, राही इंपेक्स, नीविया इंपेक्स जैसी लगभग दर्जनभर प्राइवेट लिमिटेड कंपनियां कागजों पर इसी पते पर दर्ज हैं व कारोबार कर रही हैं।

30 मार्च 2012 को बनाया था डायरेक्टर
दोनों कंपनियां वीतराग और सोम एग्जिम 30 जून 2010 को ही आरओसी गुजरात में रजिस्टर्ड हुई थीं। सचिन और अनिल को एक ही दिन 30 मार्च 2012 को उनके पहचान पत्रों और फर्जी हस्ताक्षरों से 265 करोड़ का कारोबार करने वाली कंपनी का डायरेक्टर बना दिया गया।

चालाकी : प्रमोटर त्यागपत्र देकर गायब
वीतराग एग्जिम प्राइवेट लिमिटेड के डायरेक्टर जयप्रकाश और रोहित कुमार जैन ने दस्तावेजों में वर्ष 2012-13 में 113 करोड रुपए के हीरे खरीदने और इतनी ही राशि खर्च करना बताया। वर्ष 2012 में ही चालाकी से इन दोनों प्रमोटरों ने कंपनी के डायरेक्टर पद से त्यागपत्र दिया और कंपनी इन दोनों युवकों के नाम कर दी। तब से इनका कोई पता नहीं।

पांच साल लगे जांच में
आयकर विभाग ने जब कंपनियाें के खातों में बड़ा लेनदेन देखा तो उन्हें शंका हुई और कंपनी की जांच शुरू कर दी गई। वित्तवर्ष 2012-13 में हुए इस लेन-देन की जांच में आयकर विभाग को पांच साल लग गए। जांच पूरी होने के बाद सूरत आयकर विभाग के अधिकारी पीआर कुट्टन ने सचिन और अनिल के कार्ड में दर्ज इंदौर के पते पर 1 करोड़ 75 लाख का वसूली का नोटिस भेजा है।

गायब है असली कर्ताधर्ता
उक्त फर्जी कंपनियों के असली कर्ताधर्ता रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज के कागजों से गायब हैं। चोरी गए पहचान पत्रों या उनकी फोटो कॉपी और फर्जी हस्ताक्षरों से उन लोगों को डायरेक्टर बना दिया गया है, जिनका कंपनी से कोई लेना-देना ही नहीं है। ज्यादातर को तो यह भी नहीं पता कि वे सूरत की इन कंपनियों के डायरेक्टर हैं।

मुंबई में कामत की चाल है सबका पता
इस मामले में आशंका है कि फर्जी पहचान पत्र तैयार करने वाला गिरोह भी शामिल है। सूरत के मकान के पते पर दर्ज 10 कंपनियों के करीब 14 डायरेक्टर का पता मुंबई की एक चाल का दिया गया है। फर्जी दस्तावेजों के आधार पर बनाए गए ज्यादातर डायरेक्टरों का पता 3- कामत चाल, ठाकुर द्वारा, ग्राउंड फ्लोर, मुंबई बताया है।

2.26 लाख से ज्यादा कंपनियां फर्जी
ब्लैकमनी पर रोक लगाने की कोशिशों के तहत कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय ने 2.26 लाख से ज्यादा कंपनियों के नाम आधिकारिक रिकॉर्ड से हटा दिए है। इसके साथ ही इन इकाईयों के डायरेक्टर को भी अयोग्य घोषित कर दिया गया है। इसे अलावा कुछ माह पहले सेबी ने भी शेल कंपनियों पर शिकंजा कसते हुए 331 कंपनियों की लिस्ट जारी की थी। इन कंपनियों में कुछ लिस्टेड कंपनिया भी शामिल हैं।

ऐसे घोटाले से बचने के लिए क्या करें
बैंक, वाहन खरीदी, मोबाइल नंबर लेने से लेकर कई जगहों पर आधार कार्ड, पैन कार्ड, वोटर आईडी या दूसरे पहचान पत्रों का उपयोग होता है। जब भी कहीं यह दस्तावेज दें तो उन पर जिस काम के लिए दिया जा रहा है, वह कारण लिख हस्ताक्षर करना चाहिए। जैसे 'बैंक खाता खुलवाने', गैस कनेक्शन के लिए आदि। ऐसा करने से दस्तावेजों का दुरुपयोग आसान नहीं होगा। 

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