मालदीव मामला: चीन ने भारत को दी धमकी | WORLD NEWS

वॉशिंगटन। अमेरिका ने मालदीव से मौजूदा संकट हल करने की अपील की है। यूएस के हवाले से मालदीव सरकार के स्पोक्सपर्सन ने कहा कि मालदीव के प्रेसिडेंट अब्दुल्ला यामीन, आर्मी, पुलिस कानून के मुताबिक काम करें। सुप्रीम कोर्ट के फैसले लागू किए जाएं। यमीन संसद के सही तरीके से काम करने को सुनिश्चित करें, साथ ही लोगों और संस्थाओं के अधिकार बहाल किए जाएं। देश में प्रेसिडेंट यामीन का विरोध हो रहा था। इसके चलते उन्होंने 5 फरवरी को देश में 15 दिन के लिए इमरजेंसी लगा दी थी। निर्वासित एक्स-प्रेसिडेंट मोहम्मद नशीद ने भारत से मदद मांगी है। उधर चीन ने कहा है कि भारत के मालदीव में दखल से हालात और बिगड़ेंगे।

मालदीव संकट पर क्या बोले US, OIC और चीन?
"अमेरिका मालदीव के लोगों के साथ खड़ा है। प्रेसिडेंट यामीन, आर्मी और पुलिस को देश का सम्मान करना चाहिए। उन्हें इंटरनेशनल ह्यूमन राइट्स और उनके प्रति कमिटमेंट्स को भी ध्यान में रखना चाहिए।''
इस बीच यूएन के ह्यूमन राइट्स कमिश्नर जीद राद जीद अल हुसैन ने कहा कि मालदीव में इमरजेंसी लगाने से देश में संविधान का शासन खत्म हो जाएगा, जिससे देश में बैलेंस बिगड़ेगा और लोकतांत्रिक मूल्यों को कायम रखने में दिक्कत होगी।
ऑर्गनाइजेशन ऑफ इस्लामिक कंट्रीज (OIC) ने भी मालदीव में लॉ एंड ऑर्डर की स्थिति बिगड़ने पर चिंता जताई है। उन्होंने ये भी कहा कि सभी पार्टियों को कानून पर आधारित शासन को ही मानना चाहिए और ज्यूडिशियरी को आजाद रखना चाहिए।

चीन के विदेश मंत्रालय के स्पोक्सपर्सन गेंग शुआंग ने कहा- "अंतरराष्ट्रीय समुदाय मालदीव की संप्रभुता का सम्मान करे। ऐसा कोई कदम नहीं उठना चाहिए, जिससे हालात और खराब हों। मालदीव के नेता मौजूदा संकट सुलझा लेंगे।''

2012 से मालदीव में गहराया संकट
2008 में मोहम्मद नशीद पहली बार देश के चुने हुए राष्ट्रपति बने थे। 2012 में उन्हें पद से हटा दिया गया। इसके बाद से ही मालदीव में दिक्कत शुरू हुई।
1 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद समेत 9 लोगों के खिलाफ दायर एक मामले को खारिज कर दिया था। कोर्ट ने इन नेताओं की रिहाई के आदेश भी दिए थे।
कोर्ट ने राष्ट्रपति अब्दुल्ला की पार्टी से अलग होने के बाद बर्खास्त किए गए 12 विधायकों की बहाली का भी ऑर्डर दिया था।
सरकार ने कोर्ट का यह ऑर्डर मानने से इनकार कर दिया था, जिसके चलते सरकार और कोर्ट के बीच तनातनी शुरू हो गई।
कई लोग राष्ट्रपति अब्दुल्ला के विरोध में सड़कों पर आए थे। विरोध देखते हुए सोमवार को देशभर में 15 दिन की इमरजेंसी का एलान कर दिया गया।

चीन के करीबी माने जाते हैं राष्ट्रपति यामीन
चीन ने मालदीव के इन्फ्रास्ट्रक्चर में भारी इन्वेस्टमेंट किया है। पाकिस्तान के बाद मालदीव दूसरा ऐसा देश है जिसके साथ चीन का फ्री ट्रेड एग्रीमेंट है। दोनों देशों में ये समझौता 2017 में हुआ था। 
यामीन सरकार ने इस समझौते को लागू कराने के लिए संसद में काफी जल्दी दिखाई थी, जिसपर विपक्षी पार्टियों और भारत ने चिंता जताई थी। 
चीन और राष्ट्रपति यामीन की बढ़ती करीबियों से अंदाजा लगाया जा रहा है कि मालदीव में चीन का प्रभाव बढ़ रहा है। ये चीन के भारत को घेरने के प्लान के तौर पर देखा जा रहा है। 
यामीन चीन के वन बेल्ट वन रोड प्रोजेक्ट को भी समर्थन दे चुके हैं। इसके तहत चीन पोर्ट्स, रेलवे और सी-लेन्स के जरिए एशिया, अफ्रीका और यूरोप को जोड़ना चाहता है।

सुप्रीम कोर्ट ने वापस लिए सांसदों की रिहाई के आदेश
मालदीव में इमरजेंसी के बाद सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस अब्दुल्ला सईद और दूसरे जज अली हमीद और पूर्व राष्ट्रपति मौमून अब्दुल गयूम को गिरफ्तार कर लिया गया था। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट के बाकी तीन जजों ने सरकार से टकराव का कारण बने 9 विपक्षी नेताओं की रिहाई के अपने आदेश को वापस ले लिया।

4 लाख आबादी, लेकिन भारत के लिए अहम
मालदीव की आबादी 4.15 लाख है। यह भारत के दक्षिण-पश्चिम में स्थित है। 
अपनी भौगोलिक स्थिति की वजह से मालदीव, भारत के लिए अहम है। 
चीन इसके डेवलपमेंट पर पैसे लगा रहा है। 2011 तक चीन की यहां एंबेसी भी नहीं थी, लेकिन अब यहां मिलिटरी बेस बनाना चाहता है। 
राष्ट्रपति यामीन को चीन का करीबी माना जाता है। मालदीव अब चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव का हिस्सा है। इनके बीच ट्रेड एग्रीमेंट भी हुए हैं।

सेना को तैयार रख सकता है भारत
मालदीव में लागू इमरजेंसी के बीच माना जा रहा है कि भारत इस मामले में दखल देने के लिए अपनी सेना को तैयार रख सकता है। हालांकि, सरकार की ओर से इस बारे में कोई पुष्टि नहीं की गई है। बता दें कि भारत पहले ही मालदीव के हालातों पर चिंता जाहिर कर चुका है। वहां रहने वाले भारतीयों को MEA की तरफ से वॉर्निंग भी जारी की जा चुकी हैं।

कौन हैं अब्दुल गयूम?
गयूम मालदीव के 30 साल तक प्रेसिडेंट रहे हैं। वे 2008 में देश में लोकतंत्र की स्थापना होने के बाद तक राष्ट्रपति रहे। इसके बाद हुए चुनाव में मोहम्मद नशीद देश के पहले चुने हुए राष्ट्रपति बने थे।

कौन हैं मोहम्मद नशीद?
मोहम्मद नशीद मालदीव के राष्ट्रपति रह चुके हैं। जब 2008 में मालदीव को लोकतंत्र घोषित किया गया था तब मोहम्मद नशीद लोकतांत्रिक रूप से चुने गए देश के पहले नेता थे। हालांकि, 2015 में उन्हें आतंकवाद विरोधी कानूनों के तहत सत्ता से बेदखल कर दिया गया था। नशीद अभी ब्रिटेन में निर्वासित जीवन बिता रहे हैं और अपने राजनीतिक अधिकारों को बहाल करने की कोशिशों में लगे हैं। उनकी पार्टी मालदीवियन डेमोक्रेटिक पार्टी श्रीलंका से काम करती है।

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