अपनी आवाज़ से इंदौर के संगीतप्रेमियों के आदर्श हीरानंद दानीवर एक बार फिर श्रोताओं और आयोजकों के ह्रदय पटल को छूते हुए प्रथम पायदान पर पहुंचे, इस बार यह गौरव श्री दानीवर को आनंदम संस्था द्वारा आयोजित "सीनियर सिटीजन प्रतिस्पर्धा" में अव्वल आने पर हासिल हुआ, अपनी उम्र के लगभग सभी पड़ाव पर संगीत को अपनी दुनिया बना चुके श्री दानीवर आज भी रियाज का वो सिलसिला पल पल जारी रखे हुए है जो शहर के संगीत में रूचि रखने वालों के लिए प्रेरणा पुंज है, सीनियर सिटीजन प्रतियोगिता का यह भव्य आयोजन pretamlala dua सभागार में रविवार को सैकड़ों लोगों के बीच सम्पन्न हुआ।
इस आयोजन में उम्र 60 वर्ष से अधिक के ही प्रतिभागीयों को भाग लेना था। प्रतिस्पर्धा के अनेक दौरों में तमाम प्रतिभागियों ने अपनी अपनी आवाज़ का जादू विखेरते हुए सभा को मंत्र मुग्ध कर दिया,। रविवार प्रीतमलाल दुआ सभागार में सम्पन्न FINALE में हीरानंद दानीवर पहले स्थान पर रहे,उनकी दोनों प्रस्तुति: "दोनों ने किया था प्यार मगर मुझे याद रहा तू भूल गई" और " फिरकी वाली तू कल फिर आना" को बहुत सराहा गया। इससे पूर्व भी संतोष सभागार में उर्दू शायर फिराक गोरखपुरी की बेहतरीन ग़ज़लों को अपनी आवाज़ देकर श्री दानीवर श्रोताओं को कई बार अपने रंग में ढाल चुके है,उस वक़्त भी "'मुद्दतें गुजरीं तेरी याद भी आई ना' ने महफ़िल में अदुभुत शमा बाँध दिया था,। रेडिओ और अन्य प्रसारण कार्यक्रमों में अपनी शानदार प्रस्तुति से 68 वर्षीय श्री दानीवर हमेशा संगीतप्रेमियों के चहेते रहे है,और आज भी शहर के तमाम संगीत प्रेमी उनसे कुछ नया हासिल करते है।
आनंदम आयोजक समिति के MK मिश्रा ने ऐसी प्रतिस्पर्धा से समाज में एक ऊर्जावान सोच का उदय होना बतलाया,बात चीत में मिश्रा ने कहा की इस प्रतियोगिता से इस उम्र में भी उल्लास और उमंग का भाव बरकरार रहे यही उदेश्य से आयोजन किया गया, साथ ही इस क्षेत्र में उम्दा हुनर रखने वालों को उनके असली पायदान तक पहुंचा सके उन्होंने कहा की इसी सकारत्मक सोच के साथ इस प्रतिस्पर्धा का आयोजन किया गया,जिसमे महिला कलाकारों ने भी बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया,प्रतियोगिता में प्रदेश के लगभग 80 से ज्यादा कलाकारों ने भाग लिया तथा 4 फरवरी से शरू हुआ यह दौर फाइनल में पहुंचे 9 कलाकारों की प्रस्तुतियों पर आकर रुका, श्री दानीवर ने अपने विजेता होने पर बताया ऐसे आयोजनों से समाज में कला और कला प्रेमियों दोनों का सम्मान होता है,जो कि कला को संस्कृति से और संस्कृति को समाज व पीढ़ियों से जोड़ने का सशक्त माध्यम होता है, श्री दानीवर की इस सफलता पर उन्हें संगीतप्रेमियों, इष्टमित्रों व परिवारजनों ने बहुत बधाई दी।