कांग्रेस में टिकट की दावेदारी के दाम फिक्स, महिलाओं को डिस्काउंट | NATIONAL NEWS

भोपाल। भारत की राजनीति के इतिहास में शायद यह पहली बार हो रहा है। अब तक कुछ पार्टियों पर टिकट बेचने के आरोप लगते रहे हैं परंतु मप्र में कांग्रेस ने टिकट की दावेदारी को भी नीलाम करने का फैसला किया है। राजनीति के मूल सिद्धांतों के बिल्कुल उलट मध्यप्रदेश में कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी दीपक बावरिया ने खुला ऐलान किया है कि आने वाले चुनावों में जो भी नेता टिकट का आवेदन करेगा उसे आवेदन के साथ डिमांड ड्राफ्ट के जरिये पार्टी फंड में 50 हजार रुपए जमा करने होंगे। यह नॉन रिफंडेबल फंड होगा। महिला और अनुसूचित जाति-जनजाति के लोगों को इसमें 50 फीसदी की रियायत रहेगी। 

रविवार को पार्टी के प्रदेश प्रभारी दीपक बावरिया ने पार्टी पदाधिकारियों की बैठक में यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि चुनाव लड़ने के इच्छुक उम्मीदवारों को यह राशि जमा करनी होगी। बावरिया ने दलील दी है कि इससे टिकट मांगने वालों की भीड़ में भी कमी आएगी और वास्तविक चुनाव लड़ने वाले ही सामने आएंगे। दीपक बावरिया का मानना है कि उन्होंने पार्टी हित में इनोवेशन किया है। इससे एक तरफ दावेदारों की भीड़ कम होगी तो दूसरी तरफ पार्टी फंड में पैसा भी आएगा। 

इस फार्मूले में बुराई क्या है
यह फार्मूला भारत के लोकतंत्र और राजनीति के मूल सिद्धांतों के खिलाफ है। इस तरह के फैसले राजनैतिक दलों को दुकान में तब्दील कर देंगे। यह एक शुरूआत है जो पार्टी को बर्बाद और नेताओं को भ्रष्ट कर देगी। वक्त के साथ दावेदारी की रकम बढ़ाई जाती रहेगी। पार्टी संचालकों का फोकस जनहित से हटकर पैसा कमाने पर लग जाएगा। भले ही पैसा पार्टी फंड में आ रहा है परंतु दीपक बावरिया और इनके जैसे सैंकड़ों नेता इसी पार्टीफंड पर अपनी लक्झरी यात्राएं और सुविधाओं का लाभ उठाते हैं। राजनीति को चरित्रहीन बनने से बचाने का सिर्फ एक ही रास्ता है कि पार्टियां आम जनता के बीच जाएं और धनसंग्रह करें। इस तरह तो कांग्रेस एक दुकान हो जाएगी। 

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