बेशर्म MPPSC: इस बार तो सिर्फ 8 हैं, 2010 में 40 जवाब गलत थे | EMPLOYMENT NEWS

इंदौर। इसे मध्यप्रदेश लोकसेवा आयोग की बेशर्मी ही कहेंगे कि वो गलतियों का रिकॉर्ड बनाता जा रहा है और उसमें कोई सुधार नहीं हो रहा है। राज्यसेवा परीक्षा 2018 की मॉडल आंसरशीट में आठ प्रश्नों के गलत जवाब पर असंतोष फूट रहा है। उम्मीदवार जवाबों में बदलाव चाहते हैं। मप्र लोकसेवा आयोग (पीएससी) के लिए यह पहला मौका नहीं होगा जब उसे फाइनल आंसरशीट में जवाबों में परिवर्तन करना पड़ेगा। 2010 की राज्यसेवा परीक्षा में पीएससी मॉडल आंसरशीट के बाद सबसे ज्यादा 40 सवालों के जवाबों में परिवर्तन का रिकॉर्ड बना चुका है।

राज्यसेवा परीक्षा में 2010 से 2015 तक लगातार हर साल मॉडल और फाइनल आंसरशीट के सवाल-जवाब में बदलाव करना पड़े। पीएससी के रिकॉर्ड के मुताबिक, 2010 में कुल 40 जवाबों के विकल्प में परिवर्तन किया गया था। 2011 में परीक्षा आयोजित नहीं हुई। 2012 में पीएससी का रिकॉर्ड बेहतर हुआ और पहले व दूसरे दोनों पर्चों में कुल छह सवालों के जवाब बाद में बदलना पड़े। 2014 में संख्या फिर बढ़ी और आठ जवाब बदले गए। 2015 की फाइनल आंसरशीट में भी आठ जवाब बदले गए थे। हालांकि, 2017 में स्थिति सुधरी और फाइनल आंसरशीट में एक भी जवाब नहीं बदला गया। सिर्फ एक प्रश्न रद्द किया गया था।

अलग से दिए बोनस अंक
राज्यसेवा परीक्षा के पुराने रिकॉर्ड के मुताबिक, 2010 न केवल प्रश्नों के उत्तर में बदलाव बल्कि बोनस अंक देने के मामले में भी खासा चर्चित रहा। दरअसल पीएससी के पहले के नियम के मुताबिक जो प्रश्न गलत मानकर रद्द किए जाते थे उनके एवज में हर उम्मीदवार को बोनस अंक भी दिए जाते थे।

2010 में 40 उत्तर बदलने के अलावा 14 सवालों को गलत मानकर उसमें बोनस अंक दिए गए। 2012 में भी जवाब बदलने के अतिरिक्त दो प्रश्नपत्रों में कुल पांच प्रश्नों में बोनस अंक देना पड़े।

इसके बाद पीएससी ने नियम बदलकर गलत प्रश्न को विलोपित करना शुरू करते हुए बोनस अंक देना बंद कर दिया। 2013 में कुल 16 प्रश्नों को गलत मानते हुए विलोपित किया गया। 2014 में पांच और 2015 में भी पांच प्रश्नों को गलत होने के कारण विलोपित करना पड़ा।

छवि खराब हो गई 
सवाल-जवाब बदलने के मामले में पीएससी में आवेदन कर जानकारी मांगने वाले विषय विशेषज्ञ मुकेश कटारे के मुताबिक मॉडल आंसरशीट में ज्यादा संख्या में गलत जवाबों से पीएससी की दक्षता पर सवाल खड़े होते हैं। इससे परीक्षा में भाग लेने वाले छात्रों के मन में प्रक्रिया पर संदेह पैदा होता है।

बेहतर है कि मॉडल आंसरशीट भी सावधानी से तैयार की जाए जिससे ऐसी नौबत ही न आए। इधर पीएससी का कहना है कि मॉडल आंसरशीट कच्ची कुंजी होती है। वह जारी ही इसलिए की जाती है ताकि गलती सुधारी जा सके। यह सामान्य प्रक्रिया है।

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