
शिवराज ने 'जागरण राउंड टेबल' में चर्चा के दौरान यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि राज्य निर्वाचन आयोग ने इसका एक फॉर्मूला बनाया है। इसे अंतिम रूप देने की तैयारी चल रही है। इसके तहत सहकारिता को छोड़कर प्रदेश के सभी स्थानीय चुनाव, इनमें नगरीय निकाय और पंचायत भी शामिल होंगे, को एकसाथ कराया जाएगा। उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश जैसे राज्यों के लिए यह कदम बेहद अहम होगा, क्योंकि मौजूदा परिस्थिति में प्रदेश में सरकार गठन के बाद लगभग एक से डेढ़ साल अन्य चुनाव में चला जाता है।
नवंबर-दिसंबर में विधानसभा के चुनाव होते हैं। नई सरकार के शपथ लेने के कुछ महीनों बाद अप्रैल-मई में लोकसभा चुनाव आ जाता है। इसके खत्म होते ही प्रदेश में सितंबर-अक्टूबर में होने वाले नगरीय निकाय चुनाव और उसके बाद पंचायत चुनाव की तैयारी शुरू हो जाती है। इसके बाद सहकारिता का चुनाव आ जाता है। राज्य का एक से डेढ़ साल चुनाव में ही निकल जाता है। ऐसे में सरकार का पूरा ध्यान चुनाव पर ही केंद्रित रहता है, क्योंकि चुनाव में एक भी हार-जीत से उसकी लोकप्रियता तय होने लगती है। कहा जाता है कि जमीन खिसक गई। इस बीच विकास कार्य लगभग ठप पड़ जाता है।