
लग्न मॆ सूर्य और शुक्र की उपस्थिति ने फिल्मजगत मॆ उन्हे विशेष मान सम्मान तथा सरकार से पद्मश्री की उपाधि से सम्मानित किया। भाग्य स्थान मॆ गुरुग्रह की उपस्थिति ने उन्हे विशेष रूप से भाग्यशाली बनाया, उनकी कीर्ति को हमेशा के लिये स्थिर कर दिया, सभी कर्क लग्न वालो की तरह उनका वैवाहिक जीवन भी बेदाग नही रहा। उन्होने पहले से ही विवाहित बोनीकपूर से शादी की, उन्होने सभी तरह के अभिनय किये, चुलबुली भूमिका हो या गम्भीर उन्होने सभी मॆ अपनी छाप छॊडी।
हिन्दी फिल्म जगत मॆ एक रानी की तरह उन्होने एकछत्र राज्य किया,उनकी पत्री मॆ गुरु ग्रह भाग्य स्थान का स्वामी होने के कारण वे हिन्दी न जानने के बाद भी हिन्दी फिल्मों मॆ सफल रही। मान सम्मान तथा यश पाया, 2016 तक वे गुरु की दशा मॆ थी जिसमे, उन्होने फिल्मों मॆ सफल वापसी भी की। 2016 के बाद लगने वाली शनि की दशा जो उनके लिये मारक थी। जिसमे उनके जीवन की फिल्म का परदा गिर गया। श्री की पत्रिका के ग्रहयोग उन्हे सबके दिलो की देवी बनाकर हमेशा जिंदा रखेंगे।
प.चंद्रशेखर नेमा"हिमांशु"
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