
अमेरिकी अखबार वॉशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिकी रक्षा अधिकारियों ने बताया है कि ट्रंप भारतीय पीएम और उनके बोलने के अंदाज से काफी प्रभावित हैं. यहां तक कि ट्रंप जब मोदी के बयान के बारे में बता रहे थे तो उनका लहजा और अंदाज भारतीय प्रधानमंत्री जैसा ही था. इसके बाद ही ट्रंप ने अफगानिस्तान में ज्यादा सैनिकों को भेजने और वहां निवेश करने का फैसला किया है. अमेरिका का मानना है कि उसकी मदद से अफगानिस्तान आने वाले दो सालों में अपनी सेना और पुलिस की मदद से देश के 80 फीसदी हिस्से पर अपना कब्जा कर लेगा.
इसके बाद अफगानिस्तान में मौजूद अमेरिकी सैनिकों की संख्या 15 हजार के करीब हो जाएगी. हालांकि, रक्षा मंत्री जिम मैटिस ने अभी इस प्रस्ताव पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं. इन सैनिकों को अफगानिस्तानी सुरक्षा बलों की मदद के लिए भेजा जा रहा है ताकि वह तालिबान से लोहा लेने में अफगानी सुरक्षा बलों की मदद कर सकें.
ओबामा प्रशासन ने अफगानिस्तान में जारी अमेरिकी युद्ध को 2015 में खत्म करने का फैसला किया था. ट्रंप ने सत्ता संभालने के बाद बीते साल अगस्त में कहा था कि अमेरिका की सलाहकार टीमें अफगानिस्तान में जाएंगी.
ट्रंप के सत्ता में आने के बाद से अफगानिस्तान में अमेरिकी सैनिकों की संख्या 8,500 से बढ़कर 14,000 हो चुकी है. यही नहीं, उन्होंने अमेरिकी युद्धक विमानों के ऑपरेशनों पर लगी रोक को भी ढीला करने का काम किया, जिससे बीते महीनों में तालिबान के ठिकानों पर अमेरिकी हवाई हमले भी देखे गए हैं.
इससे पहले भी ट्रंप को भारतीयों के अंग्रेजी बोलने के तरीके की नकल बनाते देखा गया है. ट्रंप ने अप्रैल 2016 में अपने चुनाव प्रचार अभियान के दौरान भारतीय कॉल सेंटर कर्मचारियों के अंग्रेजी बोलने के लहजे की भी नकल की थी. ट्रंप केवल भारतीयों के लहजे की ही नहीं, अक्टूबर 2017 में स्पेनिश लहजे की भी नकल बना चुके हैं. अपनी इन हरकतों की वजह से अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप सोशल मीडिया पर अक्सर आलोचना का शिकार भी होते रहे हैं, हालांकि उन्हें इससे फर्क नहीं पड़ता है.