नई दिल्ली। चेहरे पर बार-बार कील-मुहांसो होने से परेशान होकर एक महिला ने नए साल के पहले ही दिन पंखे से लटककर जान दे दी। घटना गांधी नगर इलाके की है। अपने दो लाइन के सुसाइड नोट में 26 वर्षीय जूही ने मुहांसो से परेशान होने का जिक्र किया है। जूही का मध्यप्रदेश पीसीएस में चयन भी हो चुका था। उत्तराखंड के काशीपुर की जूही तीन साल से गांधी विहार के ए ब्लाक में प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रही थी। उसका मध्यप्रदेश पीसीएस में चयन हो गया था। साथ ही उत्तराखंड में स्नातक स्तर के एसीआईओ परीक्षा भी उत्तीर्ण कर ली थी।
जूही ने 31 दिसम्बर की रात में सहेलियों के साथ नए साल का स्वागत किया। देर रात सभी सो गए। सोमवार सुबह 10 बजे दूसरे कमरे में रहने वाली सहेली ने जूही के कमरे का दरवाजा खटखटाया। जब कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली तो उसने रोशनदान से झांका। उसकी चीख निकल गई। जूही पंखे से लटक रही थी। सहेली ने पुलिस को सूचना दी। मौके पर पहुंची पुलिस ने शव को पंखे से उतारा। पुलिस ने मौके से दो लाइन का सुसाइट नोट भी बरामद किया। सुसाइड नोट में लिखा है कि वह अपने चेहरे के कील मुहांसों से बेहद परेशान थी। नोट में उसने अपनी मौत का जिम्मेदार खुद को बताया है। मुहांसो की बात से जूही की सहेलियां भी वाकिफ थीं। जूही अपने भद्दे चेहरो को लेकर परेशान थी। हालांकि, सभी दोस्त उसका उत्साह बढ़ाती रहती थीं और मुहांसो की बात को बहुत तवज्जो नहीं देती थीं।
घर में बड़ी संख्या में क्रीम, दवाएं मिली
जूही अपने चेहरे को सुंदर बनाने के लिए कई तरह की दवाओं का प्रयोग कर रही थी। उसके कमरे से बड़ी संख्या में दाग मिटाने की क्रीम एवं दवाएं मिली हैं। साथ ही टीवी पर चेहरा सुंदर करने का दावा करने वाली आयुर्वेदिक दवाएं भी मिली हैं। इससे पता चलता है कि अपने चेहरे को लेकर वह हीनभावना से ग्रस्त थी।
छह साल पहले कोर्ट मैरिज की थी
जूही ने परिवार की मर्जी के खिलाफ विकास नाम के युवक से छह साल पहले कोर्ट मैरिज की थी। वह गांधी विहार में अपने पति विकास की इच्छा से रहकर तैयारी कर रही थी। विकास पेशे से किसान हैं। बताया जाता है कि विकास अपनी पत्नी की पढ़ाई के लिए सारा खर्च वहन करता था। जूही की पढ़ाई में वह किसी तरह की दिक्कत नहीं आने देता था। जूही की मौत से विकास बुरी तरह टूट गया है। पुलिस अधिकारी ने बताया कि परिवार मंगलवार को दिल्ली पहुंचेगा जिसके बाद पोस्टमार्टम की प्रक्रिया होगी।
आईएएस अधिकारी बनने की चाह थी
जूही शुरू से ही मेधावी और महात्वांकाक्षी थी। उसका चयन दो प्रतिष्ठित नौकरियों में हो चुका था, लेकिन उसका अंतिम लक्ष्य आईएएस अफसर बनना था। इसी लक्ष्य की प्राप्ति के लिए वह दिनरात मेहनत भी कर रही थी।