सिविल पदों पर संविदा नियुक्ति नियम फिर बदल रहे हैं | EMPLOYMENT NEWS

भोपाल। मध्यप्रदेश में सिविल पदों पर संविदा नियुक्तियों के नियम फिर से बदले जा रहे हैं। इसमें कुछ नए नियम जोड़े जा रहे हैं, कुछ पुराने संशोधित किए जा रहे हैं। यह कवायद इंदौर नगर निगम में रिटायर एडिशनल कमिश्नर देवेंद्र सिंह की नियुक्ति विवाद के बाद शुरू हुई है। देवेन्द्र सिंह के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले में जांच चल रही है, फिर भी उन्हे नियुक्ति दे दी गई थी। माया सिंह ने निगम कमिश्नरों से नियुक्ति के अधिकार छीन लिए थे। 

पत्रकार विकास तिवारी की रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश में सिविल पदों पर संविदा नियुक्ति अधिकतम तीन साल के लिए की जाएगी। इन पदों पर भर्ती खुले विज्ञापन के जरिए ही करना होगा ताकि अधिकतम लोगों को इसमें आवेदन करने का मौका मिल सकेगा। राज्य सरकार मप्र सिविल पदों पर संविदा नियुक्ति के नए नियमों में ये प्रावधान करने जा रही है। जीएडी इन नियमों को अंतिम रूप देने में लगा हुआ है। 

वित्त विभाग के सुझाव पर संविदा पदों पर भर्ती के लिए पांच नए प्रावधान भी नियमों में शामिल किए जाएंगे। इसके तहत नियमित पदों को संविदा नियुक्ति का पद घोषित कर संविदा नियुक्ति किए जाने पर यह अवधि न्यूनतम एक वर्ष और अधिकतम तीन वर्ष रखी जाएगी। विभागाध्यक्ष और अतिरिक्त विभागाध्यक्ष के पदों के लिए छानबीन समिति जीएडी के एसीएस या पीएस की अध्यक्षता में गठित की जाएगी। 

जीएडी ने यह प्रस्ताव बनाया था कि जीएडी एसीएस की अध्यक्षता में गठित समिति की अनुशंसा के आधार पर नियुक्तियां हो लेकिन वित्त विभाग के एसीएस एपी श्रीवास्तव ने आपत्ति जताई है। उनका कहना है कि ऐसा करने पर विशिष्ट व्यक्ति के नाम परही विचार हो पाएगा इसलिए इन पदों पर नियुक्ति खुले विज्ञापन के माध्यम से की जाए।

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