
जानकारी के मुताबिक मनोहर 1984 में LDC के पद पर पदस्थ हुआ था। बैंक नोट प्रेस प्रबंधन की ओर से छपे हुए नोट चोरी होने की जानकारी मिलने के पुलिस मौके पर पहुंची और कार्रवाई की। एडिशनल एसपी भी वहां पहुंच गए हैं। इतने बड़े और महत्वपूर्ण केंद्रीय संस्थान में हुई बड़ी चूक पर प्रबंधन कुछ भी कहने से बच रहा है।
बता दें कि बैंक नोट प्रेस या इस तरह के कारखानों एवं संस्थानों में आने जाने वाले कर्मचारियों की तलाशी ली जाती है। यह सुनिश्चित किया जाता है कि कहीं वो अपने साथ कुछ चुराकर तो नहीं ले जा रहे हैं। यह प्रक्रिया नियमित रूप से और प्रतिदिन चलती है। सवाल यह है कि एक अधिकारी इतने सारे रूपए अपने घर तक ले जाने में कैसे कामयाब हो गया। सवाल यह भी है कि क्या वो अकेला ऐसा व्यक्ति है जिसने बैंकनोट प्रेस में चोरी की या इससे पहले भी कई चोर सफल हो चुके हैं।