भोपाल। मध्यप्रदेश में अध्यापकों का 'MUNDAN MOVEMENT' जोर पकड़ने लगा है। राजधानी में 4 महिला अध्यापकों के साथ 100 अध्यापकों ने 13 दिसम्बर को मुंडन करवाकर इस आंदोलन की शुरूआत की थी। यह आग पूरे प्रदेश में फैल चुकी है। BHOPAL SAMACHAR.COM के पास उपलब्ध जानकारी के अनुसार अब तक 300 से ज्यादा अध्यापक मुंडन करा चुके हैं। हालात आंधप्रदेश के तेलंगाना आंदोलन जैसे हो गए हैं, वहां विरोध प्रदर्शन कर रहे लोग आम दिनचर्या में सिर्फ काले कपड़े पहनते थे।
मध्यप्रदेश में भाजपा ने 2003 के विधानसभा चुनाव से पहले वादा किया था कि शिक्षाकर्मियों का शिक्षा विभाग में संविलियन किया जाएगा और समान काम समान वेतन दिया जाएगा। सत्ता में आने के बाद शिवराज सिंह चौहान सरकार ने इस मांग को किश्तों में पूरा करना शुरू किया। पदनाम शिक्षाकर्मी से बदलकर अध्यापक कर दिया परंतु सीनियरटी छीन ली। फिर धीरे धीरे वेतन बढ़ाना शुरू किया परंतु आज तक ना तो संविलियन किया गया और ना ही समान काम समान वेतन दिया गया।
अध्यापकों के आंदोलन तोड़ने के लिए सरकार ने नई रणनीति बनाई और अध्यापक नेताओं में फूट डाल दी। मप्र के सबसे सशक्त अध्यापक नेता मुरलीधर पाटीदार को 2013 में टिकट देकर भाजपा में शामिल कर लिया। इसके बाद सरकार ने कोई बड़ा आंदोलन नहीं होने दिया। निराश अध्यापकों ने 2018 चुनाव के पहले मुंडन आंदोलन शुरू कर दिया। अब यह आंदोलन सरकार के लिए चिंता का सबब बन गया है क्योंकि इसके पीछे किसी एक नेता का नियंत्रण नहीं है।
मुंडन कराने वालों में सागर जिले से शैलेन्द्र सिंह गंभीरिया, सुरेन्द्र पराशर, मनोज नेमा, नरेन्द्र उपाध्याय, ब्रजेश द्विवेदी, मदन अहिरवार, पंकज वैद्य, ब्रजेश देवलिया और प्रेम मेहरा शामिल है।
लटेरी जिला विदिशा में उनारसीकला क्षेत्र में 6 अध्यापकों ने अपना मुंडन करवाया है। मुंडन कराने वाले अध्यापकों में नरेश शास्त्री, अनिल सोनी, वीरेंद्र यादव, अनिल मिश्रा, शिवनंदन सिंह, वीरेंद्र राजपूत आदि अध्यापक शामिल हैं।
ग्वालियर में लक्ष्मीबाई समाधि के सामने मुंडन कराने वालों में अमजद खान, आदेश द्विवेदी, रामबहादुर सिंह यादव, विनोद मिश्रा, महेन्द्र सिंह रावत, शिवसिंह बघेल, मनोज कुमार जाटव, निरंजन सिंह घुरैया,शामिल थे।