कमलनाथ पर बंदूक तानने वाला उन्मादी है, गोली भी चला सकता था | MP NEWS

जबलपुर। वरिष्ठ कांग्रेस नेता कमलनाथ पर राइफल तानने वाला आरक्षक रत्नेश पवार मेनिया (उन्माद) का मरीज है। वह कभी भी उन्माद में आकर गोली चला सकता था। 2013 में भी इसी बीमारी के चलते उसका इलाज हो चुका है। अब बड़ा सवाल यह उठ रहा है कि मेनिया के शिकार युवक को एयरपोर्ट सिक्योरिटी में कैसे तैनात कर दिया गया? इस तरह के रोगी सिपाही को मुख्य सुरक्षा में नहीं लगाया जा सकता, जबकि उसके हाथ में तो राइफल तक ही थमा दी गई।

यह खुलासा मेडिकल अस्पताल के मनोरोग विभाग में शनिवार को आरक्षक के सायको टेस्ट के दौरान हुआ। शुक्रवार को छिंदवाड़ा एयरपोर्ट पर आरक्षक रत्नेश पवार ने पूर्व केंद्रीय मंत्री कमलनाथ पर बंदूक तान दी थी। हालांकि, समय रहते बाकी के सुरक्षा स्टॉफ ने उसे पकड़ लिया, नहीं तो वह बड़ी घटना को अंजाम दे सकता था।

मेडिकल में सायको टेस्ट: दौरा पड़ा होगा, इसलिए तानी होगी रायफल
आरक्षक रत्नेश पवार को नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडिकल अस्पताल के मनोरोग विभाग में लाया गया। यहां तीन मनोचिकित्सक के बोर्ड ने उसकी जांच की। जांच के बाद उसे तीन दिन के लिए भर्ती कर दिया। जांच में वह उन्माद के मरीज के रूप में डायग्नोज हुआ है। मेडिकल अस्पताल के उपअधीक्षक डॉ. अरविंद शर्मा का कहना है कि आरक्षक का 2013 में भी इलाज चला था। आशंका है कि उसने बीच में दवाएं बंद कर दी हों जिससे उसे दौरा पड़ा हो।

क्या है उन्माद
मनोचिकित्सक डॉ. रत्नेश कुरारिया का कहना है कि उन्माद एक मानसिक रोग है। इस बीमारी में मरीज खुद को शक्तिशाली समझने लगता है। वह किसी भी तरह की घटना को अंजाम दे सकता है। यह डिप्रेशन की बीमारी के ठीक उलटा होता है। डिप्रेशन में मरीज खुद को कमजोर समझता है और वह आत्महत्या जैसा कदम उठाता है जबकि उन्माद में व्यक्ति स्वयं को अत्यंत शक्तिशाली समझते हुए दूसरों की जान लेने पर उतारू हो जाता है। ऐसे मरीजों को किसी भी तरह का शस्त्र नहीं दिया जा सकता।

इनका कहना है
वरिष्ठ कांग्रेस नेता कमलनाथ पर राइफल तानने वाला आरक्षक रत्नेश पवार उन्माद का मरीज है। उसका मेडिकल अस्पताल में सायको टेस्ट कराया गया है। इस मामले में सीएसपी जांच कर रहे हैं, जो भी अधिकारी दोषी होगा उस पर कार्रवाई की जाएगी।
भगवत सिंह चौहान, डीआईजी

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