
जी हां, 4 दिसंबर 1971 के दिन 460 किलोमीटर दूर कराची पर हमले की तैयारी शुरू कर दी गई। हमला रात को किया जाना था, क्योंकि पाकिस्तानी एयरफोर्स रात में कार्रवाई करने में सक्षम नहीं थी। फिर आया कार्रवाई का वक्त और कमांडर बबरू भान यादव के नेृतत्व में भारतीय नौसेना ने पाकिस्तान पर धावा बोल दिया। भारतीय नौसेना ने ऑपरेशन की तैयारी और कार्रवाई इतनी जबरदस्त तरह से की थी कि पाकिस्तान को संभलने का मौका तक नहीं मिला। भारत की इस कार्रवाई में पाकिस्तान के 3 पोत बर्बाद होकर डूब गए। 1 पोत बुरी तरह डैमेज हुआ और बाद में वह भी बेकार हो गया।
पाकिस्तान तोड़कर बांग्लादेश बनाया
इस ऑपरेशन में कराची हार्बर फ्यूल स्टोरेज को भी भारत ने पूरी तरह तबाह कर दिया। भारत की ताकत का अंदाज़ा इससे लगाया जा सकता है कि उसे इस कार्रवाई में कोई नुकसान नहीं हुआ। भारत की तरफ से इस कार्रवाई में 3 विद्युत क्लास मिसाइल बोट और 2 एंटी सबमरीन कोवर्ट ने हिस्सा लिया था। 1947 और 1965 के बाद 1971 में ये तीसरा मौका था, जब भारत अपने पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान से जंग लड़ रहा था। इस जंग में पूर्वी पाकिस्तानी के रूप में बांग्लादेश को गंवाना उसके लिए बड़ा झटका था।
पहली बार नौसेनाओं ने लड़ा था युद्ध
इसके अलावा ये पहला मौका था, जब दोनों देशों की नौसेना आमने-सामने थी। उससे पहले थल और वायु सेना ने ही पाकिस्तान को धूल चटाई थी, लेकिन 4 से 5 दिसंबर के बीच पाकिस्तान को ऑपरेशन ट्राइडेंट में जो झटका लगा, वो उसे कभी नहीं भुला पाएगा। इस ऑपरेशन में भारत की जीत के चलते हर साल नौसेना दिवस मनाया जाता है।
मिसाइल का पहली बार इस्तेमाल
ऑपरेशन ट्राइडेंट में पहली बार ऐसा मौका आया, जब एंटी शिप मिसाइल का इस्तेमाल हुआ। इस ऑपरेशन को 4 से 5 दिसंबर के बीच अंजाम दिया गया था। 1971 के दौर में कराची बंदरगाह पाकिस्तान के लिए बेहद मायने रखता था। पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था में इसका खासा योगदान था। साथ ही पाक नौसेना का पूरा अड्डा भी यहीं था। 1971 के आखिरी दिनों में भारत और पाकिस्तान के बीच जबरदस्त टेंशन बढ़ा। बिगड़ते हालात को देखते हुए भारत ने 3 विद्युत मिसाइल बोट तैनात कर दी थी। उसके बाद ऑपरेशन ट्राइडेंट को अंजाम दिया गया।