
भारत को दूसरे उपायों से भी इसका मुकाबला करना होगा। भारत इस मामले में चीन से सीख सकता है। चीन ने गूगल और फेसबुक जैसी दिग्गज अमेरिकी कंपनियों को ब्लॉक किया जिसका भरपूर फायदा बाइडू, वीचैट, वीबो और अलीबाबा जैसी चाइनीज़ कंपनियों तथा उनकी सर्विसेज को मिला। भारत भी बड़ी अमेरिकी कंपनियों पर रोक लगाए तो इसका सीधा फायदा स्थानीय टेक फर्म्स को मिलेगा। वे न केवल अपना साइज बढ़ा सकेंगी बल्कि देश में सैकड़ों-हजारों रोजगार भी पैदा करेंगी। आज भारत के डिजिटल विज्ञापन धंधे पर पूरी तरह गूगल और फेसबुक का दबदबा है। दोनों ने मिलकर मार्केट का ७५ प्रतिशत हिस्सा कब्जे में कर रखा है। अब भारतीय अमेरिकी टेक कंपनियों की डिजिटल कॉलोनी नहीं बने रह सकते। हमें अपनी भारतीय स्टार्टअप कंपनियों को बढ़ावा देकर उन्हें इनका मुकाबला करने लायक बनाने पर ध्यान केन्द्रित करना होगा ।
ऐसा सोचना ठीक नहीं कि विदेशी निवेश केवल अमेजॉन, अलीबाबा और फेसबुक के ही जरिए ही आएगा। देश में प्रतियोगिता पूर्ण स्टार्टअप का माहौल बने तो वे भारतीय प्रतिभाएं भी आगे बढ़ेंगी, जिन्होंने सिलिकॉन वैली को खड़ा किया, आज ये प्रतिभाये खुद को पीछे मान रही हैं। स्टार्टअप इंडिया और डिजिटल इंडिया केवल नारा ही न बनें। ये उद्यमी भारत में आईटी के विकास की नई लहर पैदा कर सकते हैं। केंद्र व राज्यों के नेताओं, अफसरों, कारोबारियों, बुद्धिजीवियों और तकनीक के जानकारों को साथ लेते हुए इस बारे में बातचीत तुरंत शुरू की जानी चाहिए। इसी से हम अमेरिका से मुकाबला कर सकेंगे। अब हमे अपनी प्रवीणता दिखानी होगी।
श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।