होटल रेस्तरां का खाना अमानक | EDITORIAL

राकेश दुबे@प्रतिदिन। अगर आप होटल और रेस्तरां में खाने के शौक़ीन है तो यह सूचना आप ही के लिए है। बदलते भारतीय परिवेश में होटल और रेस्तरां में खाना प्रतिष्ठा की निशानी होता जा रहा है। इन होटल और रेस्तरां पर नियन्त्रण रखने वाली संस्था खाद्य नियामक [FSSAI] के बारे में संसद में जो जानकारी आई है, वह आँखें खोल देने के लिए काफी है। संसद में प्रस्तुत नियंत्रक व महालेखा परीक्षक ने अपनी ताजा रिपोर्ट में देश के खाद्य नियामक [FSSAI] के हालात का जो ब्योरा दिया है, वह चौंका देने वाला है। इसके मुताबिक एफएसएसएआई में लापरवाही का यह आलम है कि होटलों-रेस्तरांओं या भोजन व्यवसाय से जुड़ी अन्य गतिविधियों के लिए लाइसेंस देते समय सारे दस्तावेज जमा कराने की औपचारिकता भी यहां पूरी नहीं की जाती।

सीएजी ऑडिट के दौरान आधे से ज्यादा मामलों में दस्तावेज आधे-अधूरे पाए गए। इसकी जांच की क्वॉलिटी भी संदेह के दायरे में है, क्योंकि सीएजी रिपोर्ट के मुताबिक एफएसएसएआई के अधिकारी जिन 72 लैबरेट्रियों में नमूने जांच के लिए भेजते हैं, उनमें से 65 के पास आधिकारिक मान्यता भी नहीं है। उन्हें यह मान्यता एनएएलबी (नैशनल अक्रेडिटेशन बोर्ड फॉर टेस्टिंग एंड कैलिब्रेशन लैबरेट्रीज) प्रदान करता है। सीएजी ऑडिट के दौरान जिन 16 लैब्स की जांच की गई उनमें से 15 में योग्य खाद्य विश्लेषक भी नहीं थे। सोचा जा सकता है कि ऐसी हालत में देश में खाद्य पदार्थों की क्वॉलिटी बनाए रखने का काम कितनी बुरी हालत में होगा। राहत की बात इतनी ही है कि अपने देश में लोगों का फूड बिहेवियर अभी ऐसा नहीं हुआ है कि वे पूरी तरह डिब्बाबंद खाद्य पदार्थों पर निर्भर हों।

वैसे भारत में आमतौर पर लोग घरों में बनाए भोजन को ही प्राथमिकता देते हैं लेकिन बदलती जीवनशैली के साथ इस चलन में बदलाव भी आ रहा है। कामकाजी जोड़ों के लिए घर में खाना बनाना मुश्किल होता है लिहाजा ऐसे घरों में बाहर से खाना पैक करवाना आम बात है। अन्य घरों में भी धीरे-धीरे पैक्ड फूड प्रॉक्ट्स का इस्तेमाल बढ़ता जा रहा है। ऐसे में खाद्य नियामक की ऐसी खस्ताहाली खासी चिंताजनक है। आज हमारे पास यह जांचने का भी कोई माध्यम  नहीं है कि बाजार में प्रचलित खाद्य सामग्रियों के रूप में कितनी खतरनाक चीजें हमारे शरीर में पहुंच रही हैं। कई असाध्य बीमारियों का महामारी का रूप लेते जाना जरूर हमें स्थिति की भयावहता का थोड़ा-बहुत अंदाजा करा देता है। देशवासियों की सेहत के साथ ऐसा खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। बेहतर होगा कि सरकार तत्काल सक्रिय हो और युद्ध स्तर पर सारे जरूरी कदम उठाकर इस बदइंतजामी को दूर करे।  यह सबसे जरूरी है, भोजन की प्राथमिकता सूची में घर पर बना भोजन सबसे उपर हो।
श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।
संपर्क  9425022703        
rakeshdubeyrsa@gmail.com
पूर्व में प्रकाशित लेख पढ़ने के लिए यहां क्लिक कीजिए
आप हमें ट्विटर और फ़ेसबुक पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं।

#buttons=(Accept !) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Accept !