
ऐसे करते थे गड़बड़ी
आरोपी बहुत ही शातिराना तरीके से रुटीन बजट से कार्यकर्ता व सहायिकाओं को मानदेय का भुगतान करते थे। जबकि आंगनबाड़ी भवनों के किराए के नाम पर ग्लोबल बजट से प्रदेशभर में फैले अपने परिचितों के बैंक खातों में राशि ट्रांसफर कर देते थे। इन परिचितों में आरोपियों के रिश्तेदार और परिजन भी बताए जा रहे हैं। दोनों बजट की राशि का समानांतर मिलान न होने के कारण मामला पकड़ में नहीं आ रहा था। ज्ञात हो कि राजपत्रित अफसरों को जरुरत के हिसाब से तय हेड में ग्लोबल बजट खर्च करने की छूट है।
पांचवीं जांच में पकड़ाया मामला
गड़बड़ी पांचवीं जांच में पकड़ में आई। मामले की भनक लगने पर विभाग के संयुक्त संचालक, वित्त अधिकारी, वित्त विभाग और महालेखागार कार्यालय के ऑडिटर और कलेक्टर से जांच कराई गई। सभी ने इस जानकारी को गलत बताया और आरोपी अफसर भी आत्मविश्वास से भरे थे, लेकिन जब संचालनालय के वरिष्ठ अफसरों ने कोषालय से पुराना रिकॉर्ड निकलवाया, तो एक-एक कर गड़बड़ी की परतें खुलने लगीं।
अब जांच करेगी पुलिस
पुलिस अब गड़बड़ी कैसे हुई, न सिर्फ इसकी जांच करेगी। बल्कि मानदेय की अतिरिक्त राशि किन लोगों के बैंक खाते में जा रही थी, इसकी भी जांच होगी। मामले में बैंक के कर्मचारियों की भूमिका भी संदिग्ध बताई जा रही है।
इन अधिकारियों के खिलाफ होगी FIR
परियोजना अधिकारी राहुल दत्त संधीर, नईमउद्दीन खान, मीना मिंज, बबीता मेहरा, सुमेधा त्रिपाठी, कीर्ति अग्रवाल, अर्चना भटनागर, कृष्णा बैरागी, लिपिक श्याम कुमार बंजानी, फूलसिंह उमठ, बीना भदौरिया, केके चौधरी, राजकुमार लोकवानी और दिलीप कुमार जेठानी के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का आवेदन पुलिस का दिया गया है।
आवेदन दे दिया
संबंधितों के खिलाफ एफआईआर कराने के निर्देश मिले थे। हमने पांचों थानों में आवेदन दे दिया है। पुलिस प्रक्रिया के तहत एफआईआर दर्ज करेगी।
स्वर्णिमा शुक्ला, संयुक्त संचालक, भोपाल