कभी पत्नी तो कभी बच्चे बदलते हैं मनुष्य का भाग्य | JYOTISH

हमने किताबों मॆ पढ़ा है की मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है, यह बात 100% नही पूर्णतः सत्य है। ज्योतिष में भी यह बात पूर्णतः लागू होती है। व्यक्ति का भाग्य उन्नति अवनति जिस समाज या परिवार मॆ व्यक्ति रहता है उस पर निर्भर करती है। किसी भी व्यक्ति की पत्रिका में चौथा स्थान समाज का होता है। शनिदेव समाज के कारक होते है। यदि आपकी कुंडली के स्वामी का चौथे स्थान के स्वामी तथा शनिदेव से अच्छा सम्बंध हो तो ऐसा व्यक्ति जिस समाज मॆ रहता है उस समाज से उसे मान सम्मान धन सुख सुविधा सब मिलता है।

परिवार से सम्बंध
कोई भी व्यक्ति सामाजिक प्राणी से बढ़कर सबसे पहले पारिवारिक प्राणी है। जन्म के बाद अबोध बालक माता, पिता, भाई, बहन तथा परिवार के अन्य सदस्यों पर निर्भर रहता है। यदि ये सब अच्छे है तो बच्चे की बाल्यवस्था सुखद जाती है, अन्यथा बाल्यकाल से ही दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। यदि जन्म से ही बालक उत्तम ग्रहयोग लेकर आया है तो उसके अच्छी ग्रहस्थिति का लाभ परिवार तथा पूरे कुल को मिलता है। बड़ी सामजिक हस्तियों सचिन तेंडुलकर,अमिताभ बच्चन परिवार कुल तथा देश के लिये भी भाग्यशाली हुए।

पत्नी से जुड़ा पति का भाग्य
पत्नी ग्रहलक्ष्मी होती है विवाह के पश्चात उसका भाग्य पति के भाग्य को बदलता है। आर्थिक स्थिति को तो निश्चित रूप से परिवर्तित करता है। व्यक्ति के जीवन मॆ शुक्र और शनि के अच्छे परिणाम तो पत्नी के आने के बाद ही मिलते है। यदि पत्नी का गुरु ग्रह शुभ है तो परिवारों मॆ तरक्की होती है। जिस परिवार मॆ वो गई उसकी बडोत्रि होती है। उपरोक्त ग्रह बिगड़ने पर कलह तथा अलगाव होता है, इससे बचने के लिये स्त्री पक्ष को गुरुवार का व्रत करना चाहिये वरिष्ठ लोगो को दिल जीतना चाहिये इससे परिवार मॆ उन्नति तथा समृद्धि आती है।

बच्चों से जुड़ा भाग्य
जातक का भाग्य समय समय पर बदलता है। प्रथम तो वह भाग्य लेकर ही पैदा होता है। दूसरा कुछ लोगो का भाग्य विवाह के बाद बदलता है। तीसरा कई लोगों का भाग्य बच्चों के जन्म के बाद बदलता है। इसीलिये जातक को जीवन मॆ इस बात का अहंकार नही होना चाहिए की वह अकेला ही सब कर लेगा क्योंकि जातक इस जीवन से म्रुत्यु तक कही न कही किसी न किसी से जुड़ा हुआ है और यह बात भी पक्की है की समाज और परिवार के सहयोग से उसके दिन बदलेंगे।
प.चंद्रशेखर नेमा"हिमांशु"
9893280184,7000460931
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