
इसके अलावा रेटिंग एजेंसियां देश में आर्थिक सुधारों और उसके भविष्य के प्रभाव को भी ध्यान में रखती हैं। निश्चय ही यह मोदी सरकार के लिए राहत की बात है। मूडीज ने अपने निर्णय के लिए भारत सरकार द्वारा किए जा रहे आर्थिक और सांस्थानिक सुधारों को आधार बनाया है। मूडीज ने जीडीपी, नोटबंदी, बैंकों के फंसे कर्ज को लेकर उठाए गए कदमों, आधार कार्ड और डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर को उल्लेखनीय बताया है। हालांकि, उसने यह भी माना है कि इन सुधारों का असर लंबे समय के बाद दिखेगा।
मूडीज ने कहा है कि जीएसटी और नोटबंदी लागू होने के कारण कुछ समय के लिए जीडीपी में गिरावट आई है लेकिन खासकर जीएसटी के कारण देश के आंतरिक व्यापार का हाल सुधरेगा। सरकार के बड़े फैसलों से व्यापार और विदेशी निवेश की स्थिति भी बदलेगी।
इस रेटिंग सुधार से देश के कारोबारी जगत और निवेशकों का हौसला बढ़ा है। मूडीज की खबर आते ही भारतीय शेयर बाजार में कारोबार तेज हो गया। रेटिंग सुधरने से भारत सरकार और भारतीय कंपनियों को बाहर से कर्ज मिलना आसान होगा। विदेशी कंपनियों का निवेश भी इससे बढ़ सकता है। सरकार के सामने अभी सबसे बड़ी चुनौती राजकोषीय घाटे को नियंत्रित करने की है। जीएसटी के क्रियान्वयन के बाद अगर उसके राजस्व में कमी आती है तो इस घाटे को साधना काफी मुश्किल होगा। अगर वह राजकोषीय घाटे का लक्ष्य चूकी तो निश्चित तौर पर यह अर्थव्यवस्था के लिए नकारात्मक संकेत होगा।
अर्थशास्त्रियों का यह भी अनुमान है कि रेटिंग से होने वाले सारे लाभ बड़ी कंपनियों को ही मिलेंगे, छोटे उद्यमों को नहीं। उन्होंने कम ग्रोथ रेट पर भी चिंता जताई है। उनका कहना है कि यूपीए सरकार ने ढांचागत सुधार नहीं किए थे, इसलिए उसके समय रेटिंग नहीं बढ़ी थी लेकिन उसके समय विकास दर अच्छी थी। जो भी हो, रेटिंग सुधरना सबके लिए अच्छी खबर है। सरकार की कोशिश होनी चाहिए कि माहौल सुधरने का लाभ सभी सेक्टर्स को मिले।
श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।