इंदौर। उज्जैन में आबरू बचाने के लिए चलती बाइक से अशोकनगर की महिला अपनी डेढ़ साल की बच्ची को लेकर कूद गई। वो घायल हुई। भीड़ जमा हुई। पुलिस भी आई और महिला को थाने ले गई लेकिन मामला दर्ज नहीं किया और महिला को रात भर थाने में रखा सुबह वापस रेलवे स्टेशन छोड़ दिया गया। जब एसपी को मामले का पता चला तब एफआईआर दर्ज हुई। एसपी ने दो पुलिसकर्मियों को सस्पेंड कर दो अधिकारियों को नोटिस जारी किया गया है।
गोशाला, अशोकनगर में रहने वाली अंतरसिंह की 20 वर्षीय पत्नी बीती रात रेलवे स्टेशन पहुंची थी। वह देवदर्शन करने मासूम बच्चे के साथ उज्जैन आई थी। स्टेशन से बाहर मेन रोड पर रात करीब 12 बजे महिला खड़ी थी। उसी दौरान एक बाईक सवार आया और महिला को फुसलाकर बाइक पर बैठाकर भागने लगा। महिला ने शोर मचाया और चलती बाइक से कूद गई। राहगीरों ने घायल महिला को देखा तो पुलिस को सूचना दी जिसके बाद नीलगंगा थाने की एफआरवी 22 में ड्यूटी कर रहे जवान अनिल ने घायल महिला को देवासगेट पुलिस के सुपुर्द कर दिया। यहां पर रात में ड्यूटी पर तैनात एएसआई परमानंद, हेड कांस्टेबल मलखान सिंह ने घायल महिला से पूछताछ की, नाम और पता रजिस्टर में नोट किया और घायल अवस्था में ही महिला थाने भेज दिया।
खास बात यह कि महिला थाने में घायल महिला को सुपुर्द करते समय कोई तहरीर थाने की तरफ से नहीं दी गई और उसका कोई रिकॉर्ड थाने में मौजूद नहीं था। सुबह उसी घायल महिला को देवासगेट थाने की जीप से दो जवान राजेंद्र शर्मा व एक अन्य रेलवे स्टेशन पर लावारिस हालत में छोड़ निकल गए। जवानों से जब पूछा क्या मामला है तो उनका कहना था महिला रास्ता भटक गई थी उसे छोडऩे आये हैं, जबकि घायल महिला से जानकारी चाही तो उसके आंसू निकल पड़े। रोती-बिलखती बच्चे के साथ स्टेशन पर बैठी महिला का कहना था रातभर थाने में पुलिस ने रखा, मेरे पैरों से खून निकल रहा है, रिपोर्ट लिखी नहीं, बदमाश कौन था जानकारी नहीं।
यदि पत्रकार पूछताछ ना करते तो मामला रफादफा हो चुका था
इस मामले का बड़ा पहलू यह है कि यदि स्थानीय अखबार अक्षर विश्व के पत्रकार पूछताछ ना करते और भोपाल गैंगरेप के कारण हालात संवेदनशील ना हुए होते तो पुलिस मामले को रफादफा कर चुकी थी। सुबह पत्रकारों ने जब एसपी को घटना की जानकारी दी तब कार्रवाई शुरू हुई। एफआईआर दर्ज की गई और 2 पुलिसकर्मियों को संस्पेंड कर दिया गया।