व्यवस्था है, पर कानून शिथिल है ! शिवराज जी

राकेश दुबे@प्रतिदिन। अब राजधानी में भी गैंग रेप हो रहे हैं। यह मध्यप्रदेश की तस्वीर है, जब सरकार अपने राज्य उत्सव के दौरान अपनी शान में कसीदे पढ़ रही थी, गैंग रेप की शिकार युवती इस थाने से उस थाने तक भटक रही थी। पुलिस की संवेदनशीलता पर सबसे बड़ा सवाल यह है कि उसका रवैया अपने कर्मचारियों के परिवारों के साथ ऐसा है तो आम नागरिक उससे कोई उम्मीद कैसे कर सकता है ?

महिलाओं के विरुद्ध अपराधों के मामलों में मध्यप्रदेश की अपकीर्ति बेवजह नही है। राष्ट्रीय अपराध अभिलेख ब्यूरो के आंकड़ो को गलत बताती सरकार के मुंह पर यह घटना तमाचे की तरह है। राजधानी भोपाल में पुलिस थाने से महज कुछ से कदम दूर इंसानियत को शर्मसार करते हुए एक छात्रा के साथ गैंगरेप की वारदात को अंजाम दिया गया। आरपीएफ में कार्यरत अस्सिटेंट सब इंस्पेटर की 19 साल की बेटी का आरोप है कि कोचिंग क्लास से वापस घर लौटते वक्त उसके साथ 4 लोगों ने गैंगरेप किया। इस मामले में आरोपियों के खिलाफ आईपीसी की धारा 376 डी, 394 , 34 के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया गया। गैंगरेप मामले में चार पुलिस अधिकारी निलंबित किए गए हैं और शहर के एसपी का तबादला कर दिया है। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने दो दिन बाद कहा है कि इस मामले की सुनवाई फास्ट ट्रैक कोर्ट में होगी। इस मामले में पुलिस ने अब तक 3 लोगों को गिरफ्तार किया है। एक आरोपी की पहचान की जा रही है। 

यह घटना प्रदेश की कानून व्यवस्था पर  प्रश्नचिंह नहीं बदनुमा दाग है। सबसे महत्वपूर्ण सवाल पुलिस की कार्यपद्धति पर है। पुलिस की नियमावली कहती है कि अपराध की सूचना मिलते ही अपराध पंजीबद्ध किया जायेगा। जहाँ घटना घटी है वह स्थान सूचना मिलने वाले पुलिस थाने का नही है तो भी प्रकरण “जीरो” पर दर्ज करके सम्बन्धित पुलिस थाने को भेजा जाये। पर ऐसा होता नहीं है। इस कार्रवाई हेतु हर पुलिस थाने 24 घंटे एक अधिकारी तैनात रखने का भी हुकुम है, लेकिन टालमटोल पुलिस की कार्य प्रणाली का अंग बन गया है। मध्यप्रदेश में पुलिस बल की कमी का तर्क दिया जाता है, लेकिन चुनिन्दा अफसरों को चुनिन्दा पदों पर रखने के खेल से सब आँख मूंद लेते हैं। पुलिस मुख्यालय तो राजनीतिक सम्प्रभुओं की चाकरी को ही अपनी प्रवीणता मानता है। नियमों के विपरीत काम से आँख मूंदने का यह दौर है।

शिवराज सिंह तो हर समस्या का निदान सरकारी खजाने का दरवाजा खोलकर करना चाहते हैं। पिछले एक सप्ताह से वे किसानो के लिए आकर्षक घोषणा करने में व्यस्त हैं। सबसे महत्वपूर्ण पक्ष कानून व्यवस्था है। व्यवस्था मौजूद है, पर कानून को राजनीति ने शिथिल कर रखा है। इस  ओर भी देखने की कोशिश कीजिये शिवराज जी!
श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।
संपर्क  9425022703        
rakeshdubeyrsa@gmail.com
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