
जयंत सिन्हा ने सफाई दी है कि जब वो राजनीतिक जीवन में आए, तब वो ओमेडियार के डायरेक्टर पद से इस्तीफा दे चुके थे लेकिन, इस तथ्य पर जयंत सिन्हा के पास कोई जवाब नहीं है कि जब उन्होंने चुनाव लड़ा तो उन्होंने ओमेडियार के डायरेक्टर पद पर रहने की बात क्यों नहीं बताई। इतना ही नहीं जब सिन्हा केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल हुए तब भी उन्होंने लोकसभा सचिवालय या पीएमओ को ये बात नहीं बताई। ये तथ्य जयंत सिन्हा के खिलाफ जा सकता है और मोदी सरकार के लिए परेशानी का सबब बन सकता है।
मामला सामने आने के बाद भी भाजपा खामोश
मोदी सरकार में केंद्रीय विमानन मंत्री जयंत सिन्हा का नाम पैराडाइज पेपर्स लीक में सामने आने के बाद से इस मसले पर भाजपा खामोश है। दस्तावेजों के अनुसार, जयंत सिन्हा मंत्री बनने से पहले और सांसद बनने के बाद तक ओमेडियार नेटवर्क के मैनेजिंग डायरेक्टर थे और इसी ओमेडियार नेटवर्क ने अमेरिकी कंपनी डी लाइट डिजाइन में एक बहुत बड़ा निवेश किया था। इसमें खास बात यह है कि डी लाइट डिजाइन ने टेक्स हेवेन केमैन आइलैंड में अपनी एक सब्सिडियरी कंपनी बनाई थी। जाहिर तौर पर ये सब कुछ टैक्स और काली कमाई बचाने के लिए की गई कवायद थी।
ओमेडियार में डायरेक्टर के पद पर थे जयंत
टेक्स हैवेन देशों में निवेश की पोल खोलने वाली लीगल फर्म ऐपलबी के मुताबिक, डी लाइड डिजाइन ने केमैन आइलैंड स्थित सब्सिडियरी कंपनी से 30 लाख अमेरिकी डॉलर का कर्ज लिया था। कर्ज 2012 में लिया गया और उस वक्त जयंत सिन्हा ओमेडियार के डायरेक्टर के पद पर नियुक्त थे।