पाकिस्तान को, खुद ही कुछ करना होगा

राकेश दुबे@प्रतिदिन। चौथी बार चीन ने भारत, अमेरिका और कई अन्य मुल्कों के उस प्रस्ताव को खारिज कर दिया है, जिसमें पठानकोट आतंकी हमले के मास्टर माइंड मसूद अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित करने की मांग की गई थी। चीन ने‘प्रतिबंध लगाने वाली समिति के सदस्यों के बीच आम राय न होने’ को अपने इस कदम का आधार बताया है। नई दिल्ली की प्रतिक्रिया इस मामले में गौर करने लायक है। भारतीय विदेश मंत्रालय की तरफ से कहा गया है कि ‘यह वाकई निराशाजनक है कि एक बार फिर एक देश ने मसूद अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित करने संबंधी अंतरराष्ट्रीय सहमति की राह में अडंगा डाला है। भारत साफ तौर पर मानता है कि इस तरह के दोहरे मापदंड आतंकवाद से मुकाबला करने के अंतरराष्ट्रीय समुदायों के संकल्प को कमजोर करेंगे।’

पिछले वर्ष सुरक्षा परिषद में एकमात्र चीन था, जिसने मसूद अजहर को 1267 प्रतिबंधितों की सूची में शामिल करने के भारत के प्रस्ताव पर रोक लगा दी थी। अगर ऐसा हो जाता, तो मसूद अजहर की तमाम संपत्ति कुर्क हो सकती थी और उस पर यात्रा प्रतिबंध भी लग सकता था। इस ताजा रुकावट के बावजूद बीजिंग का यह दुस्साहस गौर करने लायक है। उसने कहा है कि वह ‘नए युग के निर्माण के लिए द्विपक्षीय रिश्तों को लगातार मजबूत बनाते हुए भारत के साथ मिलकर काम करने को तैयार है।’ इसके साथ-साथ उन प्रयासों की भी चर्चा की गई, जो उसने पिछले कुछ वर्षों में अपने इस पड़ोसी (भारत) देश के साथ द्विपक्षीय रिश्तों को बेहतर बनाने और आपसी विश्वास बढ़ाने के लिए किए हैं। 

दरअसल, चीन के श्यामन में जारी ब्रिक्स घोषणापत्र 2017 ने भारत में काफी उत्साह पैदा किया था। 43 पेज के उस घोषणापत्र में पहली बार आतंकवाद के खिलाफ सख्त रुख अपनाया गया था। इस पर ब्रिक्स के सभी पांचों देश सहमत थे। घोषणापत्र में न सिर्फ क्षेत्र की सुरक्षा-स्थिति पर,बल्कि तालिबान, आईएस, अल-कायदा, इस्टर्न तुर्किस्तान इस्लामिक मूवमेंट, इस्लामिक मूवमेंट ऑफ उज्बेकिस्तान, हक्कानी नेटवर्क, लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद, तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) और हिज्ब-उत-तहरीर जैसी आतंकी जमातों द्वारा फैलाई जा रही हिंसा पर भी गहरी ‘चिंता’ जताई गई थी।यह उसके रुख में आए बदलाव का संकेत था,जो पिछले साल तक पाकिस्तान की जमीन पर पल रहे लश्कर और जैश जैसी तंजीमों पर बात करने का पक्षधर नहीं था।

साफ है, वह घटनाक्रम पाकिस्तान के लिए किसी चुनौती से कम नहीं था। इसे विदेश मंत्री ख्वाजा आसिफ की टिप्पणी से भी समझा जा सकता है,जिसमें उन्होंने कहा था कि ‘हमें (पाकिस्तान) हमारी बेबुनियाद छवि को तोड़ने की जरूरत है। आतंकवाद में हमारी कोई हिस्सेदारी नहीं है, मगर वे हमारे लिए बोझ हैं। हमें अपना इतिहास कुबूल करना होगा और खुद को दुरुस्त भी।’ इस्लामाबाद चीन के रुख से चिंतित था | अब पाकिस्तान को‘अपने दोस्तों को यह बताने की जरूरत है कि हम अपने घर को ठीक कर रहे हैं और  वैश्विक स्तर पर\उसे  शर्मिंदगी का सामना न करना पड़े, इसके लिए उसे अपने मुल्क को सुधारना ही होगा।’ 
श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।
संपर्क  9425022703        
rakeshdubeyrsa@gmail.com
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