MPPSC जैन घोटाला: 18 नहीं 40 हैं, लेकिन गड़बड़ी जैसा कुछ भी नहीं

इंदौर। MPPSC जैन घोटाला ने हंगामा बरपा दिया है। मध्यप्रदेश लोकसेवा आयोग की ओर से सफाई दी गई है कि राज्यसेवा परीक्षा 2017 में पास होने वाले जैन परीक्षार्थियों की संख्या 18 नहीं 40 है। जिन 18 पर आपत्ति जताई जा रही है वो सभी एक ही पेज पर दर्ज हैं लेकिन उनके परीक्षा केंद्र एक ही नहीं है। उन्होंने पीएससी मुख्य परीक्षा आगर-मालवा के बजाय अलग-अलग केंद्रों से दी थी। इनमें इंदौर-भोपाल व ग्वालियर के परीक्षा केंद्र शामिल हैं। आरोप लगाया गया है कि इस मामले को कुछ प्राइवेट कोचिंग सेंटर वाले हवा दे रहे हैं। 

बीते सप्ताह राज्यसेवा मुख्य परीक्षा-2017 के नतीजे जारी होने के अगले ही दिन सोशल मीडिया पर एक संदेश प्रसारित हुआ था। आरोप लगे थे कि जैन सरनेम वाले 18 उम्मीदवारों का सिलेक्शन हुआ है। सिलेक्शन में मप्र लोकसेवा आयोग पर गड़बड़ी के आरोप लगाए गए थे। सोशल मीडिया पर ही दस्तावेज भी प्रसारित किए गए, जिसमें बताया गया था कि सागर-सतना क्षेत्र के रहने वाले और इंदौर से पढ़ाई करने वाले इन उम्मीदवारों ने आगर-मालवा में जाकर परीक्षा दी थी।

प्रवेश पत्र हैं प्रारंभिक परीक्षा के, रिजल्ट मुख्य के
जिनके सिलेक्शन पर विवाद खड़ा हुआ है, उनके सोशल मीडिया पर प्रसारित प्रवेश-पत्र प्रारंभिक परीक्षा के हैं, जबकि घोषित रिजल्ट मुख्य परीक्षा का है। 3 से 8 जून को हुई मुख्य परीक्षा में ये उम्मीदवार किसी एक केंद्र से शामिल नहीं हुए थे, बल्कि अलग-अलग शहरों के अलग-अलग परीक्षा केंद्रों से बैठे थे। इनमें से 14 उम्मीदवारों ने इंदौर से परीक्षा दी थी।

दो उम्मीदवारों ने भोपाल और दो ने ग्वालियर के केंद्र से परीक्षा दी थी। इंदौर में भी अलग-अलग छह परीक्षा केंद्र बनाए गए थे। लिहाजा पीएससी सोशल मीडिया पर प्रसारित संदेश को भ्रमित करने वाला बताते हुए कह रहा है कि इंदौर से परीक्षा देने वाले 14 उम्मीदवारों को भी अलग-अलग परीक्षा केंद्र और कमरे आवंटित हुए थे।

असल में 40 से ज्यादा 'जैन'
पीएससी मुख्य परीक्षा के नतीजों में कुल 1528 उम्मीदवारों को सफल घोषित किया गया है। इनमें 40 से ज्यादा जैन सरनेम वाले हैं। सोशल मीडिया पर 18 उम्मीदवारों के नामों पर ही विवाद शुरू किया गया है। इसकी वजह है कि कुल 35 पन्नों में रिजल्ट जारी किया गया है। सबसे आखिरी पन्ने पर ये 18 नाम हैं।

लिहाजा एक साथ लाइन से जैन सरनेम देखकर उस पन्ने की कॉपी भी सोशल मीडिया पर वायरल कर दी गई। कुछ निजी कोचिंग संचालक इस विवाद को हवा दे रहे हैं। दरअसल, सिलेक्ट हुए ज्यादातर उम्मीदवार ऐसे हैं जो समाज के अधीन चल रहे धर्मार्थ कोचिंग संस्थान में तैयारी कर रहे थे।

तथ्यहीन आरोप, अभी तो इंटरव्यू भी बाकी
आरोप तथ्यहीन हैं। जिस उपनाम के आधार पर गड़बड़ी के आरोप लगाए जा रहे हैं, उन उम्मीदवारों के रोल नंबरों के बीच भी 6 से 32 तक का अंतर है। रोल नंबर भी कम्प्यूटर से आवंटित होते हैं। यह अंतिम सिलेक्शन लिस्ट नहीं है, अभी तो इंटरव्यू भी होना है। 
डॉ. पवन कुमार शर्मा, 
सचिव, मप्र लोकसेवा आयोग

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