
जय शाह की कंपनी नोटबंदी से पहले ही बंद हो चुकी थी, जिसे कांग्रेस बेटा मॉडल बता रही है। दरअसल, उसमें बिजनेस आगे बढ़ना चाहिए था, न कि कम होना चाहिए था। सिद्धार्थनाथ से जब पूछा गया कि क्या अमित शाह बेटे पर लगे आरोपों के कारण पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से इस्तीफा देंगे, जवाब में उन्होंने कहा, "इसका जवाब देने की आवश्यकता ही नहीं है। पत्रकार-वार्ता के दौरान मौजूद उप्र सरकार के कैबिनेट मंत्री सुरेश खन्ना ने कहा, "जय शाह यदि अमित शाह के बेटे नहीं होते तो ये मामला कभी तूल नहीं पकड़ता। इसमें सबकुछ कानूनी रूप से किया गया है। इसमें अवैध कुछ नहीं है।
सिद्धार्थ पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के नवासे भी हैं। उन्होंने कहा कि आजकल सुपाड़ी पत्रकारिता का चलन हो गया है। इसकी मदद से कोई भी किसी भी खबर को सनसनी के तौर पर जनता के सामने रख सकता है। देखने में आ रहा है कि कुछ लोग वेबपोर्टल खोलकर ऐसी खबरें देकर सनसनी फैलाना चाहते हैं, जिससे उनका नाम हो। ऐसी पत्रकारिता को सुपाड़ी जर्नलिज्म ही कहा जा सकता है।