
मोदी सरकार ने कहा कि यह पॉलिसी मामला है। इसमें कोर्ट को दखल नहीं देना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट में लोकप्रहरी NGO की उस याचिका का विरोध किया है, जिसमें कहा गया था कि अगर कोई विधायक या सांसद आपराधिक मामले में दोषी पाया जाता है, तो तत्काल प्रभाव से उसकी सीट को खाली घोषित किया जाए।
याचिका में सुप्रीम कोर्ट के 2013 के फैसले को आधार बनाया गया है, जिसमें कोर्ट ने कहा था कि अगर कोई विधायक या सांसद आपराधिक मामले में दोषी पाया जाता है, तो तत्काल प्रभाव से वो अयोग्य घोषित हो जाएगा। मालूम हो कि नई लोकसभा में हर तीसरा नवनिर्वाचित सांसद आपराधिक पृष्ठभूमि वाला है। इसका खुलासा सांसदों द्वारा भरे गए शपथ पत्र के आधार पर हुआ है।
नेशनल इलेक्शन वाच (एनईडब्ल्यू) और एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफार्म्स (एडीआर) ने 543 में 541 सदस्यों के शपथ पत्र के विश्लेषण के आधार पर कहा है कि 186 या 34 प्रतिशत चुने गए सांसदों ने अपने शपथ पत्र में खुलासा किया है कि उनके खिलाफ आपराधिक मामले हैं।