MP सरकारी छात्रावास: भूख से तड़प रहे आदिवासी छात्रों ने भीख मांगी, राशन जुटाया

ललित मुदगल/शिवपुरी। मध्यप्रदेश के शिवपुरी जिले से सरकारी तंत्र को शर्मसार करने वाली खबर आ रही है। KBC-9 में खुद को मध्यप्रदेश का 'मामा' प्रमाणित कराने वाले शिवराज सिंह चौहान की सरकार में छात्रावास की रसोई बंद कर दी गई। तर्क दिया गया कि राशन खत्म हो गया है। भूखे आदिवासी छात्र बस्ती में गए और भीख मांगकर राशन लेकर आए तब जाकर खाना मिला। यह घटनाक्रम मुख्यालय से मात्र 17 किमी दूर झांसी रोड पर शासकीय प्रीमेट्रिक बालक छात्रावास में हुआ। घटना उस समय हुई जब क्षेत्रीय सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया एवं प्रभारी मंत्री रुस्तम सिंह भी शिवपुरी में मौजूद थे। घटना प्रमाणित हो जाने के बाद छात्रावास अधीक्षक को हटा दिया गया है। 

शिवपुरी जिला मुख्यालय से मात्र 17 किमी दूर झांसी रोड पर शासकीय प्रीमेट्रिक बालक छात्रावास है। इस छात्रावास में आसपास के गांवो के सहरिया आदिवासी बच्चे रहकर शिक्षा ग्रहण करते है। पिछले लंबे समय से इस छात्रावास का अधीक्षक वहां से अपने गांव गया हुआ है। बच्चे भगवान के भरोसे रह रहे है। अन्य परेशानियों को झेलने के आदि हो चुके इस छात्रावास में रह रहे 16 बच्चे उस समय भयभीत हो गए जब 3 दिनों से खाना खाने की व्यवस्था गडबडा गई। बताया जा रहा है कि छात्रावास में खाना बनाने का समान आटा, दाल, सब्जी और ईधन खत्म हो गया था।

बच्चो ने रात तो जैसे तैसे रूखी सूखी और पानी पी कर काट ली और सुबह होते ही स्कूल चले गए। जैसे ही दोपहर हुआ बच्चे यह सोचकर अपने छात्रावास यह सोचकर लौटे शायद बड़े सर आ गए होगें और भोजन का प्रबंध हो गया होगा परंतु बड़े साहब का अता पता नही था। छात्रावास का रसोईया मुहं लटकार खडा था। बच्चो ने खाना मांगा तो उसने बताया कि राशन, ईंधन सबकुछ खत्म हो चुका है। खाना नहीं बनाया जा सकता। भूख से व्याकुल बच्चे नेशनल हाइवे पर आ गए और आसपास की दुकानों से भीख मांगी। 

हाईवे पर स्थित होटल संचालक मुकेश राठौर के पास जब ये बच्चे भीख मांगने को पहुंचे तो उसने इसका कारण पूछा। फिर बच्चों को खाना खिलाया। इसी होटल पर बैठे डॉक्टर धाकट ने बच्चों की शाम का आटा दिलवाया जिससे बच्चो के रात के खाने की व्यवस्था हो सके। इस दौरान रसोईयां भी कहीं से थोड़ी सी सामग्री जुटाकर ले आया। 

इस घटना की जानकारी सामाजिक संस्था सहरिया क्राांति की एक महिला सदस्य को लगी। उसने संस्था संयोजक संजय बेचैन को मामले की सूचना दी। संयोजक ने आदिम जाति कल्याण विभाग की संयोजक शिवांगी चतुर्वेदी का पूरे मामले की जानकारी दी। बताया गया है कि आदिम जाति की संयोजक तत्काल छात्रावास पहुंची और स्थिति का जायजा लिया। उन्होने प्रेस से बात की और कहा कि वास्तव में बच्चे भूखे थे। इस मामले में छात्रावास अधीक्षक को हटाया जा रहा है और जांच की जा रही है। अगर जांच में छात्रावास अधीक्षक दोषी पाया गया तो आगामी कार्रवाई के साथ अपराधिक प्रकरण भी कराया जाऐगा। 

यहां जिक्र करना जरूरी है कि आदिम जाति कल्याण विभाग में अधीक्षकों को ठेके पर छात्रावास दिए जाते हैं। ऐसे खुले आरोप कई बार लग चुके हैं। कहा जाता है कि प्रत्येक छात्रावास अधीक्षक से प्रतिवर्ष 50 हजार से लेकर 2 लाख रुपए तक की रिश्वत वसूली जाती है। कहने की जरूरत नहीं कि अधीक्षक दी गई रिश्वत की रकम छात्रावास के राशन और संधारण व्यय में घोटाला करके ही निकालता है। 

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