शिक्षा नीति में आमूलचूल परिवर्तन का दौर: HRD मिनिस्टर जावड़ेकर

अजमेर। केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि देश की शिक्षा नीति आमूलचूल परिवर्तन के दौर से गुजर रही है। हमारा उद्देश्य युवाओं की प्रतिभा को निखारना भी है। उन्होंने कहा कि स्कूल भेजने से अभिभावकों की जिम्मेदारी खत्म नहीं हो जाती। घर में भी हमें बच्चों पर पूरा ध्यान देना होगा। उन्होंने कहा कि शीघ्र ही सभी स्कूलों में लर्निंग आउटकम की नीति लागू होगी। इसके तहत अभिभावकों को पता होगा कि हमारा बच्चा जिस कक्षा में है, उसमें उसकी पढ़ाई का स्तर और विभिन्न विषयों में उसकी जानकारी कितनी होनी चाहिए। 

उन्होंने अभिभावकों से कहा कि प्रतिदिन अपने बच्चों से पूछें कि आज आपके शिक्षक स्कूल आए या नहीं, स्कूल में क्या पढ़ाया गया और स्कूल के बाद आपने घर पर दो घंटे अध्ययन किया या नहीं। यह सोशल ऑडिट है जो शिक्षा को बेहतर करेगी। 

जावड़ेकर ने कहा कि सरकारी स्कूलों को प्राइवेट स्कूलों से प्रतिस्पर्धा करनी पड़ेगी। राजस्थान इसका उदाहरण है। यहां पर सरकारी स्कूलों में 17 लाख नामांकन बढ़ा है। देश में सभी अप्रशिक्षित शिक्षकों के लिए दूरस्थ शिक्षा के माध्यम से बीएड की शुरूआत की गई है। वर्ष 2019 के बाद एक भी अप्रशिक्षित शिक्षक स्कूलों में नहीं पढ़ा पाएगा। उन्होंने शिक्षा का अधिकार अधिनियम में सुधार की घोषणा करते हुए कहा कि अब कक्षा पांच और आठ में भी परीक्षाएं होंगी।

उन्होंने कहा कि सरकार फोर एस फार्मूले पर काम कर रही है। स्मार्ट क्लास रूम, स्पोर्टस, स्किल डवलपमेंट और सेंस्टेविटी। इसके आधार पर विद्यार्थियों का विकास होगा। शिक्षा राज्यमंत्री वासुदेव देवनानी ने कहा कि देश के अन्य प्रदेश राजस्थान के शिक्षा मॉडल को अपना रहे हैं। राज्य में एक लाख शिक्षकों का प्रमोशन हुआ।

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