है मानव संसाधन विभाग, प्रेरको के लिए गाइड लाइन कब बनेगी

गोपालदास बैरागी। भारत देश की आज़ादी के समय हिन्दुस्थान में साक्षरता दर 18 प्रतिशत थी। देश में मानव संसाधन विकास मंत्रालय तहत साक्षर भारत मिशन द्वारा हर ग्राम पंचायत में संविदा आधार पर दो प्रेरको (एक महिला/एक पुरुष) का चयन 2 हजार रु प्रतिमाह मानदेय के रूप में की गयी है। जो देश में अलग अलग समय में प्रारम्भ हुयी। मध्य प्रदेश सहित नीमच जिले में साक्षरता हेतु 3 मई 2013 से कार्यक्रम प्रारम्भ हुआ। आज की स्थिति में साक्षर भारत प्रेरको के ईमानदार प्रयासों से हिन्दुस्थान में साक्षरता दर 81 प्रतिशत हो चुकी है। विगत 8 सितम्बर 2017, अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस पर दिल्ली में आयोजन हुआ जिसमे मध्य प्रदेश सहित कई राज्यो को साक्षरता दर बढ़ाने पर सम्मानित किया गया। जो की वास्तव में बधाई के पात्र है। पर हर प्रदेश में/या हर प्रदेश के जिला स्तर पर  अंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिवस पर कितने प्रेरको या कितनी पंचायतो को सम्मानित किया? यह चिंता व दुःख का विषय है।

अल्प मानदेय पर काम करने वाले प्रेरको को श्रेय नही चाहिए? पर मानव संसाधन विकास मंत्रालय/ भारत सरकार/ राज्य सरकार/व मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर द्वारा 8 सितम्बर 17 अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस पर प्रेरको के भविष्य के लिए क्या? गाइड लाइन तैयार की?

प्रेरको के भविष्य के प्रति चिंतित होकर गाइड लाइन तैयार की तो, सार्वजनिक क्यों नही की?
श्री जावड़ेकर द्वारा 8 सितम्बर , अंतरार्ष्ट्रीय साक्षरता दिवस, दिल्ली आयोजन में, जो विचार रखे वो कहा तक प्रेरक हित में है? श्रीजावड़ेकर ने प्रेरको को हटाया नही जायेगा बताया, पर 19 प्रतिशत निरक्षर शेष रहे देश में उनको साक्षर करने का जिम्मा सम्बंधित परिवार के अध्यनरत छात्र/छात्रा को दिया। देश में लगभग 80 लाख ड्रॉपआउट बच्चों को अन्य राज्यो की तर्ज पर केंद्र सरकार द्वारा स्कुल चले अभियान प्रारम्भ कर स्कुल में प्रवेश दिलवाया जायेगा। डिजिटल साक्षरता हेतु श्रीजावड़ेकर ने बताया की देश में लगभग 80 करोड़ जनता मोबाइल के माध्यम से फेसबुक/वाट्सअप आदि का उपयोग कर रहे है, यानि देश डिजिटलता की और बढ़ चूका है तो? माननीय आप ही बताये की अब आप उन लाखो प्रेरको के लिए आपने क्या? तय किया।
महंगाई के इस महादौर में आखिर अल्प मानदेय वो भी कई महीनो में मिलता है! आखिर प्रेरको का शोषण क्यों?

देश में महंगाई बढ़ रही है तो प्रेरको का मानदेय क्यों नही बड़ाया जा रहा?
देश सहित मध्य प्रदेश में निजी विद्यालय में अध्यापन कराने वाले शिक्षको को सरकार डिप्लोमा इन एलीमेंट्री एज्युकेशन (डी.एल.एड.) कोर्स करवा रही है। जो अच्छी पहल है पर संविदा आधार पर विगत कई वर्षो तक साक्षरता की अलख जगाकर देश व प्रदेश में साक्षरता दर बढ़ाने वाले प्रेरको को क्यों शामिल नही किया जा रहा डी.एल.एड. कोर्स में? देश का हर प्रेरक मानव संसाधन विकास मंत्रालय व केंद्र सरकार की नीतियों से काफी हद तक खफा है।

प्रेरको की पीड़ा को समझते हुए अखिल भारतीय साक्षरता प्रेरक संघ दिल्ली के राष्ट्रिय सचिव गोपालदास बैरागी ने मानव संसाधन विकास मंत्रालय/ भारत सरकार/ प्रधानमन्त्री/प्रकाश जावड़ेकर/मुख्यमंत्री/सम्बंदित विभाग से अपील की हे की देश सहित प्रदेशो के हर एक गरीब प्रेरक व लाखो गरीब प्रेरक परिवार पर ध्यान केंद्रित कर प्रेरको को उचित न्याय प्रदान करते हुए। प्रेरको को स्थाई करते हुए मानदेय को वेतनमान में परिवर्तित कर प्रेरको की पीड़ा को उचित मांग पूर्ण करते हुए न्याय प्रदान करे।

प्रेरक संविदा अवधि 30 सितम्बर 17 को समाप्ति की और अग्रसर है। अगर 2 अक्टूबर 2017 तक हिन्दुस्थान सहित मध्य प्रदेश के प्रेरको के भविष्य के प्रति सम्बंधित द्वारा निर्णय नही लिया जाता है तो? मध्य प्रदेश के लगभग 24 हजार संविदा प्रेरक व लाखो की तादात में प्रेरको के परिवार द्वारा अपने अधिकारो के सन्दर्भ में प्रदेश व् राष्ट्र स्तरीय आंदोलन किया जावेगा। जिसकी पूर्णतः जिम्मेदारी सम्बंधित विभाग व शासन/ प्रशासन की होगी।

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