BIG-B के दोस्त प्यारेलाल: दूरदर्शन को रिश्वत नहीं दे पाए, बर्बाद हो गए

MUMBAI : अमिताभ बच्चन का फ़िल्मी करियर जैसे उतार-चढ़ाव से गुजरा है। उससे भी ज्यादा चौंकाने वाली कहानी है फिल्मों में उनके दोस्त का रोल करने वाले राम सेठी की, जिन्हें ज्यादातर लोग प्यारेलाल के नाम से भी जानते हैं। एक वक्त ऐसा भी आया था, जब प्यारेलाल को काम मिलना बंद हो गया और वे करीब-करीब फुटपाथ पर आ गए। इस बात का खुलासा उन्होंने एक इंटरव्यू में किया था।

उन्हें यह नाम फिल्म 'मुकद्दर का सिकंदर' (1978) में अमिताभ के दोस्त प्यारेलाल आवारा का रोल करने के बाद ही मिला था।  राम सेठी ने कहा , "1993 के बाद मैं लगभग टूटने की कगार पर पहुंच गया था। 53 साल की उम्र में मुझे फैमिली को सपोर्ट करना था और मेरे पास कोई काम नहीं था। उस समय मैंने वह दौर भी देखा, जब मेरे पास खाने के पैसे तक नहीं थे। मैं पूरी तरह फुटपाथ पर आ गया था। प्रकाशजी (प्रकाश मेहरा) ने मुझे उस वक्त बहुत सपोर्ट किया। किसी तरह मैंने वह दौर निकाला। करीब एक साल बाद 1994 में कुछ टीवी डायरेक्टर्स ने मुझे अप्रोच किया और एक्टिंग का मौक़ा दिया। तब मुझे 2000 रुपए एक दिन के मिलते थे। करीब चार साल तक मैंने टीवी पर काम किया।"

राम सेठी की मुताबिक, 2003 में प्रकाश मेहरा ने उनके और अमिताभ बच्चन के साथ एक फिल्म प्लान की थी। स्क्रिप्ट फाइनल हो चुकी थी। लेकिन बदकिस्मती से मेहरा को हार्ट अटैक आया और फिल्म नहीं बन सकी। राम की मानें तो 2012 में एक ऑटोमोबाइल कंपनी के स्कूटर के ऐड के बाद लोगों ने उन्हें नोटिस करना शुरू किया और अब उन्हें अच्छे ऑफर्स मिल रहे हैं।

बकौल राम, "1996 में मैं खुद का प्रोडक्शन हाउस शुरू करना चाहता था। कुछ दोस्तों ने मेरी मदद की। उनके पास एक फाइनेंसस और एक डायरेक्टर भी था। मैंने प्रोडक्शन हाउस शुरू होते ही उनकी मदद की। हमने कुछ टीवी सीरीज बनाईं, जिन्हें दूरदर्शन पर टेलीकास्ट करना चाहते थे। चूंकि फाइनेंसर अमेरिकन था और उसने दूरदर्शन को रिश्वत देने से इनकार कर दिया। इस वजह से हमारे सीरियल्स टेलीकास्ट नहीं हो सके। 2000 में मुझे पारिवारिक परेशानियों की वजह से दिल्ली जाना पड़ा और जब दो साल बाद मैं लौटा तो इंडस्ट्री पूरी तरह बदल चुकी थी। कई नए चैनल्स खुल गए थे। मैं कम्फ़र्टेबल नहीं था। इस वजह से डिप्रेशन में चला गया और खुद को गुमशुदा और नर्वस महसूस करने लगा। मैं दोस्तों से मिलता था तो उनके नाम भूल जाया करता था। जब प्रकाशजी से मिला तो उन्होंने मदद की। मेरे पास कुछ जमीन भी थी, जो उन दिनों बिक चुकी थी।"
If you have any question, do a Google search
Tags

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!