फिर एक बार चीन का साथ

राकेश दुबे@प्रतिदिन। कूटनीति में जैसे अक्सर होता है, वैसे ही ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के आखिरी दिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच हुई बातचीत सकारात्मक रही। डोकलाम विवाद के बाद पहली बार दोनों नेता वार्ता की मेज पर बैठे। वैसे इस उच्चस्तरीय बातचीत पर पूरी दुनिया की नजरें टिकी हुई थीं। दोनों नेताओं ने क्षेत्रीय सुरक्षा और स्थिरता के मुद्दों को गंभीरता से लिया और पारस्परिक विश्वास बढ़ाने पर जोर दिया।

दोनों नेता ही नहीं दोनों देश के नागरिक भी इस तथ्य से परिचित हैं कि नई दिल्ली और बीजिंग को आतंकवाद, गरीबी और बेरोजगारी जैसी गंभीर चुनौतियों से लड़ना होगा। प्रधानमंत्री मोदी ने ‘सबका साथ, सबका विकास’ के नारे को चीन की धरती पर दोहाराते हुए ब्रिक्स का मकसद बताया. यह बात सही है क्योंकि इसी रास्ते पर चलकर ही विकास संभव है। इसीलिए राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने भारत के साथ मिलकर पंचशील के सिद्धांतों के तहत काम करने की सदिच्छा जाहिर की है। पंचशील के पुराने अनुभव कहते है हम सिधांत मानते रहे और चीन ने युद्ध की तैयारियां की।

इस बैठक यह अच्छी बात है कि दोनों नेताओं ने राजनीतिक सूझबूझ का परिचय देते हुए मतभेद को विवाद में नहीं बदलने की अपनी वचनबद्धता को फिर से दोहराया है। इसका अर्थ है कि दोनों  देश अतीत की कड़वाहट को भूलकर आगे बढ़ने पर सहमत हुए हैं। उम्मीद की जानी चाहिए कि आगामी दिनों में दोनों पक्ष कोई ऐसी दोनों तरकीब निकालने की कोशिश करेंगे कि डोकलाम जैसे विवादों की पुनरावृत्ति न हो। ध्यान रखने वाली बात यह है कि भारत की बात हमेशा से साफ रही है और चीन हमेशा बदलता रहा है।

भारत और चीन के रिश्तों में पाकिस्तान एक महत्त्वपूर्ण पहलू है लेकिन, अब यह मान लेना चाहिए कि ब्रिक्स के घोषणा पत्र में पाकिस्तान में मौजूद आतंकवादी संगठनों के जिक्र होने के बाद नई दिल्ली और बीजिंग के बीच संबंधों को आगे बढ़ने से रोकने वाला एक महत्त्वपूर्ण अवरोधक दूर हो जाएगा। महत्त्वपूर्ण बात यह है कि ब्रिक्स के सभी देशों ने पाकिस्तान में मौजूद जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा को आतंकवादी संगठन बताया है। इन संगठनों को हिंसा के प्रमुख स्रोत के रूप में रेखांकित किया जाना वैश्विक आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम के रूप में देखा जाना चाहिए। ब्रिक्स देशों के बीच आपसी सहयोग बढ़ाना, वैश्विक आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई तेज करना और विशेष रूप से भारत और चीन के रिश्तों के संदर्भ में सकारात्मक पहल के मद्देनजर ब्रिक्स के इस नौंवे शिखर सम्मेलन को बेहद सफल माना जा सकता है।
श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।
संपर्क  9425022703        
rakeshdubeyrsa@gmail.com
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