मैं पूरे हिंदुस्तान से पूछ रहा हूं कि क्या हमें वंदे मातरम कहने का हक है: नरेंद्र मोदी

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज 125 साल पहले शिकागो में दिए गए स्वामी विवेकानंद का भाषण की सफलता का जश्न मनाते हुए कहा कि साल 2001 से पहले 9/11 को कोई नहीं जानता था लेकिन 125 साल पहले भी शिकागो में 9/11 हुआ था, जहां विवेकानंद ने अपने भाषण से गहरी छाप छोड़ी थी। उन्होंने कहा कि मैं पूरे हिंदुस्तान से पूछ रहा हूं कि क्या हमें वंदे मातरम कहने का हक है क्या ? उन्होंने कहा कि मुझे रोजडे से कोई आपत्ति नहीं है लेकिन कभी पंजाब में केरल डे और पश्चिम बंगाल में लोहड़ी भी मनाइए। 

नई दिल्ली के विज्ञान भवन में 'युवा भारत, नया भारत' विषय पर छात्रों को संबोधित करते हुए पीएम ने कहा कि विवेकानंद की हर बातें हमें ऊर्जा भर देती है। अपने अल्प जीवन में उन्होंने गहरी छाप छोड़ी। विवेकानंद ने पूरे भारत में घूम-घूमकर हर बोली को आत्मसात किया। 125 साल पहले यह कैसा दुर्लभ क्षण होगा, जब भारत से आए एक युवक ने पूरी दुनिया का दिल जीता होगा।

किसी ने सोचा था एक भाषण के 125 साल मनाए जाएंगे 
पीएम ने कहा, 'कॉलेज में कितने डे मनाए जाते हैं, क्या पंजाब कॉलेज ने तय किया कि केरल डे मनाएंगे? उनकी तरह कपड़े पहनेंगे, खेल खेलेंगे? मैं रोज डे का विरोधी नहीं हूं। अगर आजादी के 75 साल मनाने हैं तो गांधी, भगतसिंह-सुखदेव, सुभाष चंद्र और विवेकानंद के सपनों का हिंदुस्तान नहीं बनाएंगे?: क्या कभी दुनिया में किसी ने सोचा है कि किसी लेक्चर के 125 वर्ष मनाए जाएं? 2022 में रामकृष्ण मिशन के 125 साल और आजादी के 75 साल होंगे, क्या हम कोई संकल्प ले सकते हैं?'

रामकृष्ण मिशन को जन्म दिया, विवेकानंद मिशन को नहीं
उन्होंने कहा, 'वह भारत के लिए गौरव का पल था। एक तरफ रवींद्रनाथ टैगोर का साहित्य में नोबेल पुरस्कार मिला तो दूसरी तरफ स्वामी विवेकानंद ने अपने भाषण से पूरी दुनिया में धमक जमाई। इस शख्स ने रामकृष्ण मिशन को जन्म दिया, विवेकानंद मिशन को नहीं। यह उनकी महानता को दर्शाता है। जिस भाव से रामकृष्ण मिशन का जन्म हुआ, वह आंदोलन उसी भाव से अब भी चल रहा है। विवेकानंद ने भारत की ताकत से सबको अवगत कराया। उन्होंने सामाजिक बुराई के खिलाफ भी आवाज बुलंद की।'

क्या हमें वंदे मातरम कहने का हक है
पीएम ने कहा, 'मैं यहां आया तो छात्र पूरी ताकत से वंदे मातरम, वंदे मातरम... कह रहे थे। इसे सुनकर मेरे रोंगटे खड़े हो जाते हैं। ऐसे में मैं पूरे हिंदुस्तान से पूछ रहा हूं कि क्या हमें वंदे मातरम कहने का हक है क्या? मैं जानता हूं कि कुछ लोगों को मेरी बातें चोट पहुंचाएगी। 50 बार सोच लीजिए, क्या हमें वंदे मातरम कहने का हक है क्या? पान खाकर भारत मां पर पिचकारी मारें और फिर वंदे मातरम बोलें? हमलोग सारा कचड़ा भारत मां पर फेकें और फिर वंदे मातरम बोलें? क्या यह सही है? इस देश में सबसे पहले किसी को देश पर हक है तो देश भर में सफाई का काम करने वाले भारत मां के उन सच्चे संतानों को है।'

सफाई कर्मचारी सबसे ज्यादा सम्माननीय हैं 
पीएम में नदियों को सफाई पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि यह हमारा दायित्व है कि हम अपनी नदियों को साफ रखें। हमें यह समझना होगा कि केवल अस्पतालों और डॉक्टरों की मदद से हम स्वस्थ नहीं रह सकते। वह शख्स जो हमारे घर के आसपास की गंदियों को साफ करता है, उसका इसमें बड़ा हाथ है। मैंने पहले भी कहा था- पहले शौचालय, फिर देवालय। मुझे खुशी है कि देश में ऐसी कई बेटियां हैं जो शौचालय के लिए सामाजिक बंधन को भी तोड़ डाला। इन बेटियों ने टॉइलट नहीं होनेपर ससुराल जाने से मना कर दिया।

मेक इन इंडिया का सपना स्वामी विवेकानंद का था 
जमशेदजी टाटा और स्वामी विवेकानंद के बीच मुलाकात का भी पीएम ने अपने भाषण में जिक्र किया। उन्होंने कहा कि उस वक्त भारत गुलाम था। इसके बाद विवेकानंद ने टाटा प्रमुख से कहा था कि भारत में उद्योग लगाओ, यानी मेक इन इंडिया की बात कह रहे थे। ये उनकी दूरदर्शी सोच थी, जिसने देश की तकदीर बदल दी। स्वामी विवेकानंद ने कभी सपना देखा था कि भारत विश्वगुरु बने और हम उसी राह पर हैं।

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