दिग्विजय सिंह के समर्थक मौका परस्त हैं या मूर्ख ?

उपदेश अवस्थी/भोपाल। मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह हमेशा ही सुर्खियों में बने रहते हैं। इसमें कोई दोराय नहीं कि मध्यप्रदेश की आम जनता में दिग्विजय सिंह के नाम की दहशत आज भी कायम है। भाजपा कई चुनाव तो दिग्विजय सिंह के नाम पर ही जीत जाती है। भाजपा नेता भरे मंच पर कहते हैं कि हमें जिताओ नहीं तो दिग्विजय सिंह आ जाएगा लेकिन एक सत्य यह भी है कि दिग्विजय सिंह की कृपा से मध्यप्रदेश में हजारों कांग्रेसी फलफूल रहे हैं। कई बेरोजगार कांग्रेसी रोजगार पा चुके हैं, अपने धंधों में लगे हुए हैं। कई सरकारी नौकरियां कर रहे हैं। मध्यप्रदेश में आज भी कांग्रेस के कई पदाधिकारी अपनी योग्यता नहीं बल्कि दिग्विजय सिंह की कृपा के कारण पदों पर हैं। सवाल यह है कि क्या ये सारे मौका परस्त हैं या फिर मूर्ख, जिन्होंने दिग्विजय सिंह को अकेला छोड़ दिया है। 

मैं खुद मध्यप्रदेश में दिग्विजय सिंह के अंतिम कार्यकाल में लिए गए फैसलों का घोर विरोध करता आया हूं। उन दिनों में जिस अखबार के लिए काम करता था, उसके सरकारी विज्ञापन रोक दिए गए थे। मेरे संपादक ने कहा कि तुम लिखना बंद करो नहीं तो नौकरी चली जाएगी लेकिन यह भी मानना ही होगा कि ऊंचाई पर पहुंचे हर नेता के नीचे समर्थकों का पहाड़ होता है। दिग्विजय सिंह के नीचे भी है। दिखाई भी देता है परंतु वो सोशल मीडिया पर दिखाई नहीं देता। 

मैं यहां सोशल मीडिया की बात कर रहा हूं। कई बार ऐसा लगता है कि ट्वीटर पर एक बड़ा गिरोह सक्रिय है जिसका मुख्य काम केवल दिग्विजय सिंह को ट्रॉल करना है। दिग्विजय सिंह किसी भी विषय को उठाए, लोग बेतुकी प्रतिक्रियाओं से पूरी पोस्ट भर डालते हैं। उनके तथ्यों को तर्कों से खंडित करने की कोशिश कोई नहीं करता। स्पष्ट है कि उन्हे आदेशित किया गया है। वो मंदबुद्धि हैं इसलिए तर्क नहीं दे पाते। कुतर्क जरूर छाप देते हैं। सवाल यह है कि दिग्विजय सिंह के समर्थक क्यों मुंह में दही जमाए बैठे रहते हैं। क्या वो अपने नेता दिग्विजय सिंह को फालो नहीं करते या फिर दिग्विजय सिंह का एनकाउंटर होते देखने में उन्हे आनंद आता है। 

अब ताजा मामला ही ले लो। कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने ट्वीटर पर लिखा है, “सम्माननीय अखाड़ा परिषद ने इस सूचि में बाबा रामदेव का नाम नहीं रखा। निराशा हुई। पूरे देश को ठग रहा है। नक़ली को असली बता कर बेंच रहा है।” 

दिग्विजय सिंह के इस ट्वीट पर भी लोगों ने उन्हें ट्रोल कर डाला। किसी ने सोनिया-राहुल और कांग्रेस पर निशाना साधा है तो किसी ने आचार्य प्रमोद कृष्णन को फर्जी बाबाओं की लिस्ट में शामिल करने की मांग की है।

एक यूजर ने लिखा है, “सबसे ऊपर आचार्य प्रमोद का नाम लिखना चाहिए था बुढऊ.. कोई बात नहीं, अगली सूची में डाल देंगे.” दूसरे यूजर ने लिखा है, “सम्माननीय अखाड़ा परिषद ने इस सूची मे राहुल बाबा का नाम नहीं रखा! निराशा हुई! सालो से पूरा खानदान नकली नाम रख के ठ्ग रहा है!” 

एक अन्य ट्वीट में दूसरे यूजर ने लिखा है, “चचा तू भी तो सालों से नकली गांधियों को असली बता कर बेच रहा है।” इसी तरह एक अन्य यूजर ने ट्रोल करते हुए लिखा है, “ठगा तो कांग्रेस ने था अब तक नकली गाँधी को असली गाँधी बताकर उनको भी ब्लैकलिस्ट में डालना चाहिए।”

Santosh kumar @Santoshkunwar79 ने लिखा सम्माननीय अखाड़ा परिषद ने इस सूची मे राहुल बाबा का नाम नहीं रखा! निराशा हुई! सालो से पुरा खानदान नकली नाम रख के ठ्ग रहा है!

सवाल सिर्फ इतना सा है कि क्या दिग्विजय सिंह के समर्थक इन बेतुके एक्टिविस्ट को जवाब नहीं दे सकते। बात यदि बाबा रामदेव की थी तो उसी पर केंद्रित होना चाहिए। उन्हे प्रमाणित करना चाहिए कि क्यों बाबा रामदेव फर्जी नहीं है। क्यों दिग्विजय सिंह का आरोप गलत है। उन्हे यह भी बताना चाहिए कि क्यों बाबा रामदेव को महाकुंभ में स्थान नहीं दिया गया। समझ नहीं आता, दिग्विजय सिंह किस तरह के समर्थकों के पहाड़ पर बैठे हैं। 

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