
श्योपुर के पत्रकार हरिओम गौड़ की रिपोर्ट के अनुसार करहाल जनपद पंचायत सचिवों को जुलाई महीने तक 19 हजार 970 रुपए वेतन मिल रहा था, लेकिन अगस्त महीने में जो वेतन आया है वह 14 हजार 446 रुपए है। यानी 5346 रुपए कम। वहीं शिवपुरी जिले की पोहरी और मुरैना जिले की कैलारस जनपद में तो सचिवों का वेतन और भी ज्यादा काट दिया गया है।
चार साल पहले यानी 2013 में सचिवों का वेतन बढ़ाया गया था, तभी से उन्हें बढ़ा हुआ वेतन मिल रहा था। इस साल सीनियर ग्रापं सचिवों को प्रमोशन करके पंचायत समन्वय अधिकारी (पीसीओ) बनाने की बात सरकार ने कही थी, लेकिन किसी भी सचिव को पीसीओ बनाया नहीं गया और अब उनका वेतन भी घटा दिया गया है।
इस नियम ने काट दिया वेतन
पहले नियम यह था कि ग्राम पंचायत सचिवों को भर्ती के तीन साल तक पंचायतकर्मी माना जाता था और उसका मानदेय पंचायत से जारी होता था। तीन साल बाद ग्रापं सचिव को पंचायतकर्मी से हटाकर पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग में संविलियन कर दिया जाता था और उसे बढ़ा हुआ वेतन दिया जाता था।
नए आदेश में वेतन की गणना की तीन श्रेणियां बनाई गईं। पहली तीन साल तक की नौकरी के आधार पर वेतन की गणना, दूसरी 10 साल तक की नौकरी और तीसरी श्रेणी 10 साल से अधिक की नौकरी।
नए आदेश में 2008 से संविलियन माना गया। ऐसे में किसी भी सचिव की नौकरी को 10 साल नहीं हो सके। इस कारण उन्हें बढ़े हुए वेतन का पात्र नहीं माना गया। अब सचिवों को पिछले महीने मिले वेतन यानी 19970 रुपए तक पहुंचने में एक से डेढ़ साल और लगेगा।
विभाग ने ही सचिवों का संविलियन 2008 से माना है। इस कारण सचिवों की वरिष्ठता कम हो गई। पहले वरिष्ठता के आधार पर बढ़ा हुआ वेतन मिल रहा था। अब वरिष्ठता कम हो गई तो वेतन भी कम हो गया।
अरविंद शर्मा सीईओ, विजयपुर जनपद