
28 वर्षीय पपीता गुर्जर का डिलिवरी का समय आ चुका था, नौ महीने हो चुके थे। वह सुबह शौच के लिए गई थी और पेट में तेज दर्द की शिकायत कर रही थी। महिला का पति घनश्याम उसे अस्पताल ले गया तो डॉक्टरों ने पाया कि उसका गर्भ खाली था। डॉक्टर अशोक खरे ने बताया, 'यह सुनकर मैंने तुरंत महिला के घर ऐंबुलेंस भेजी। जब ऐंबुलेंस का ड्राइवर टॉइलट में घुसा तो उसे बच्चे के रोने की आवाज सुनाई दी। उसने सीवेज टैंक खोला तो बच्चा उसमें तैर रहा था और जिंदा था। वह सांस ले रहा था तो बहुत मुश्किल से।'
डॉ. खरे ने आगे बताया, 'नवजात को वहां से निकालकर जल्दी से अस्पताल लाया गया, मां और बच्चा दोनों स्वस्थ हैं।' जिले में लिंग अनुपात पहले ही बेहद कम है, इसे देखते हुए पुलिस जांच में जुट गई है कि वह हादसा था या जानबूझकर किया गया अपराध।